भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की दीवानी दुनिया, कई खरीदारों की लगी लंबी लाइन; सामने आई लंबी लिस्ट

    Brahmos Missile: भारत का रक्षा उद्योग अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है, और इसका प्रमुख कारण है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल. पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल के प्रभावी उपयोग ने भारत के रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता को साबित कर दिया.

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    Brahmos Missile: भारत का रक्षा उद्योग अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है, और इसका प्रमुख कारण है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल. पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल के प्रभावी उपयोग ने भारत के रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता को साबित कर दिया. ब्रह्मोस की सफलता ने न केवल भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाया, बल्कि इसे वैश्विक हथियार बाजार में भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. इस मिसाइल को खरीदने के लिए कई देशों ने रुचि दिखाई है, और यह भारतीय रक्षा उद्योग की प्रगति का प्रतीक बन चुका है.

    ब्रह्मोस को लेकर देशों की बढ़ती रुचि

    साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ब्रह्मोस मिसाइल ने ऑपरेशन सिंदूर में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राजनाथ सिंह ने यह बताया कि रूस के साथ मिलकर विकसित की गई इस मिसाइल प्रणाली में 14 से 15 देशों ने रुचि दिखाई है. इसके अलावा, मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के सीनियर फेलो राजीव कुमार नारंग ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सैन्य क्षमता की एक मजबूत परीक्षा ली, और इस अनुभव ने ब्रह्मोस को वैश्विक बाजार में और अधिक स्वीकार्य बना दिया है.

    कौन-कौन से देश हैं ब्रह्मोस को लेकर उत्साहित?

    ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाने वाले देशों की सूची में थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला शामिल हैं. फिलीपींस 2022 में भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता करके ब्रह्मोस मिसाइल का पहला विदेशी खरीदार बना. इस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति अप्रैल 2025 से शुरू हो गई है. वियतनाम और इंडोनेशिया भी 700 मिलियन और 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंधों पर बातचीत कर रहे हैं.

    भारत का रक्षा उद्योग कैसे बदल रहा है?

    भारत के रक्षा उद्योग में आई तेजी को लेकर विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव ने बताया कि "मेक इन इंडिया" पहल और डीआरडीओ, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी फर्मों के बीच बेहतर समन्वय ने भारत को विश्वसनीय और युद्धक्षेत्र में सिद्ध हथियारों का निर्माता बना दिया है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस के उपयोग ने भारत की सैन्य क्षमताओं को वास्तविक समय में प्रदर्शित किया और इसे वैश्विक रक्षा खरीदारों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना दिया.

    भारत का रक्षा निर्यात: एक नई दिशा

    भारत का रक्षा निर्यात तेज़ी से बढ़ रहा है, और मई 2025 में भारत ने एक नया ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण संयंत्र स्थापित किया है. उत्तर प्रदेश में स्थित यह संयंत्र हर साल 100 मिसाइलों का उत्पादन करेगा, जिससे ब्रह्मोस मिसाइल की आपूर्ति में वृद्धि होगी. इसके अलावा, भारत का कुल रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2024-25 में 12 प्रतिशत बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 21,083 करोड़ रुपये (2.54 अरब डॉलर) से अधिक है.

    भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियों और प्रणालियों से लेकर कलपुर्जों तक लगभग 80 देशों को रक्षा उत्पादों का निर्यात किया है. यह बढ़ती मांग भारत की रक्षा उद्योग की वैश्विक स्वीकृति का संकेत है और देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

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