Asteroid News: हमने फिल्मों में कई बार देखा है कि एक विशाल एस्टेरॉयड पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है और वैज्ञानिकों को दुनिया बचाने के लिए कुछ घंटों का ही समय मिलता है. लेकिन क्या यह सिर्फ काल्पनिक है या वाकई एस्टेरॉयड धरती के लिए खतरा बन सकते हैं? इस सवाल का जवाब विज्ञान देता है – हां, संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए निरंतर निगरानी और समझ की जरूरत होती है. विज्ञान और अंतरिक्ष एजेंसियां सालों से उन पिंडों पर नज़र रख रही हैं जो पृथ्वी के करीब से गुजरते हैं. इनमें से कुछ को पोटेंशियल्ली हैज़र्डस ऑब्जेक्ट्स यानी संभावित खतरनाक वस्तुएं भी माना जाता है. आइए जानते हैं क्या होते हैं एस्टेरॉयड, उनका पृथ्वी से क्या संबंध है और किन एस्टेरॉयड्स पर वैज्ञानिकों की खास नजर है.

एस्टेरॉयड क्या हैं?
एस्टेरॉयड, जिन्हें हिंदी में क्षुद्रग्रह कहा जाता है, हमारे सौर मंडल के ऐसे चट्टानी पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये पिंड 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के निर्माण के दौरान बचे हुए पदार्थों से बने थे. अब तक एक लाख से अधिक एस्टेरॉयड की पहचान हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश मुख्य एस्टेरॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं. यह बेल्ट मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच स्थित है. हर एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक नहीं होता, लेकिन जो एस्टेरॉयड पृथ्वी की कक्षा के बेहद करीब से गुजरते हैं, उन पर खास निगरानी रखी जाती है.
1. एपोफिस एस्टेरॉयड
एपोफिस एस्टेरॉयड की खोज 2004 में हुई थी. इसका नाम मिस्र के विनाश के देवता "एपोफिस" के नाम पर रखा गया है. शुरुआत में वैज्ञानिकों को लगा कि यह 2029 में पृथ्वी से टकरा सकता है, लेकिन बाद में नासा ने स्पष्ट किया कि कम से कम अगले 100 वर्षों तक इससे कोई खतरा नहीं है. एपोफिस 13 अप्रैल 2029 को पृथ्वी से महज 32,000 किलोमीटर की दूरी से गुज़रेगा, जो कि कई सैटेलाइट्स की कक्षा से भी नजदीक है. इसका आकार लगभग 340 मीटर है, जो तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर है. इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकेगा.

2. 2024 वाईआर-4
2024 वाईआर-4 नाम का एस्टेरॉयड हाल ही में चर्चा में आया है. इसकी खोज वर्ष 2024 में हुई थी और इसका आकार लगभग 53 से 67 मीटर के बीच माना जा रहा है. कुछ शुरुआती आकलनों में यह संभावना जताई गई थी कि 2032 में इसके पृथ्वी से टकराने की 1/32 यानी लगभग 3.1% आशंका है. हालांकि, नासा ने बाद में इस खतरे को बहुत कम बताया, लेकिन यह अब भी माना जा रहा है कि इस एस्टेरॉयड के चंद्रमा से टकराने की लगभग 3.8% संभावना है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि ऐसा हुआ भी, तो इससे चंद्रमा की कक्षा पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा.

3. डिडिमोस और डिमॉर्फोस
डिडिमोस और उसका छोटा साथी डिमॉर्फोस वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचि का विषय रहे हैं. डिडिमोस का अर्थ है “जुड़वां” और डिमॉर्फोस उसका एक उपग्रह (मून) है. 2022 में नासा ने डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (DART) मिशन लॉन्च किया, जिसमें एक अंतरिक्ष यान को जानबूझकर डिमॉर्फोस से टकराया गया. इसका मकसद यह जानना था कि क्या किसी खतरनाक एस्टेरॉयड का रास्ता बदला जा सकता है. यह मिशन सफल रहा और डिमॉर्फोस की कक्षा में मामूली बदलाव आया. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) अगले साल "हेरा मिशन" के ज़रिए इसके प्रभावों का अध्ययन करने वाली है.

4. साइकी एस्टेरॉयड
साइकी एस्टेरॉयड की खोज 1852 में हुई थी और इसका नाम यूनानी देवी "साइक" के नाम पर रखा गया है. यह मंगल और बृहस्पति के बीच सूर्य की परिक्रमा करता है और मुख्य रूप से धातु और चट्टानों से बना है. वैज्ञानिकों का मानना है कि साइकी किसी प्राचीन ग्रह का कोर हो सकता है. नासा ने 2023 में "साइकी मिशन" शुरू किया ताकि इस एस्टेरॉयड का अध्ययन करके यह जाना जा सके कि ग्रहों के कोर कैसे बनते हैं. इससे पृथ्वी और अन्य ग्रहों की आंतरिक संरचना को समझने में मदद मिलेगी.
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