पाकिस्तान की सत्ता और सैन्य तंत्र में ऊंचे पदों पर बैठे कई चेहरे अक्सर देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करते नजर आते हैं. लेकिन जब बात अपने और अपने परिवार के भविष्य की आती है, तो उनका झुकाव अक्सर पश्चिमी देशों की ओर होता है. बीते कुछ वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल राजनेता, अफसर और सैन्य अधिकारी रिटायर होते ही विदेशों में जा बसे हैं, और अब एक नई चर्चा ने फिर से इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक दावा वायरल हुआ है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की पत्नी सईदा इरम और उनके तीन बच्चों को अमेरिकी पासपोर्ट मिल चुका है. बताया जा रहा है कि जून 2025 के पहले हफ्ते में उन्होंने अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन दिया था और 22 अगस्त को उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल गई.
किसने किया ये दवा?
यह दावा मेजर जनरल राजू चौहान के नाम से चल रहे एक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से किया गया. हालांकि, इस खबर की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, और भारत 24 ने भी इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं की है. गौर करने वाली बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भी ऐसी खबरें सामने आई थीं कि असीम मुनीर ने अपनी पत्नी और बच्चों को पहले ही विदेश भेज दिया था.
Syeda Irum, wife of Pakistan Army Chief Asim Munir, applied for US citizenship in the first week of June and on August 22, Syeda Irum and her three children got US citizenship.
— Maj Gen Raju Chauhan, VSM (veteran)🇮🇳 (@SoldierNationF1) September 5, 2025
I have been saying for long that like all his predecessors, he is going to run away after selling… pic.twitter.com/LYv07u0oyp
दोहरी नागरिकता: नियम बनाम हकीकत
पाकिस्तान में दोहरी नागरिकता को लेकर एक स्पष्ट कानून है. संविधान के तहत सेना के अधिकारियों को दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं है और वे किसी विदेशी नागरिक से विवाह भी नहीं कर सकते. लेकिन असलियत अक्सर कानून से अलग होती है. 1972 में किए गए संशोधन के बाद पाकिस्तान ने दोहरी नागरिकता की इजाजत दी, लेकिन यह सुविधा सिर्फ 22 देशों तक सीमित है, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं. हालांकि, कानून यह भी कहता है कि दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं कर सकते — पर पाकिस्तान में यह नियम शायद ही कभी पूरी तरह लागू होता है.
पेंडोरा पेपर्स और नौकरशाही की पोल
साल 2021 में लीक हुए पेंडोरा पेपर्स में यह खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, राजनेता और नौकरशाह विदेशों में अपार संपत्ति के मालिक हैं. 2024 की शुरुआत में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि 22,000 से अधिक पाकिस्तानी अधिकारी दोहरी नागरिकता रखते हैं. इसमें सेना, पुलिस, प्रशासनिक सेवा और राजनीति के लोग शामिल हैं.
कई नाम, एक पैटर्न: विदेश में घर बसाना
यह कोई पहली बार नहीं है कि किसी सैन्य अधिकारी या नेता के विदेश में बसने की खबर आई हो. यहां कुछ चर्चित उदाहरण देखिए. जनरल रहील शरीफ रिटायर होने के तुरंत बाद सऊदी अरब चले गए. आईएसआई प्रमुख रहे शुजा पाशा ने रिटायरमेंट के बाद यूएई में नौकरी जॉइन कर ली. परवेज मुशर्रफ अपनी मौत तक दुबई में ही रहे, जबकि उनकी नागरिकता भी रद्द कर दी गई थी.
राजनीतिक परिवारों की बात करें तो नवाज शरीफ के बेटे, हसन और हुसैन शरीफ, ब्रिटिश नागरिक हैं. मरियम नवाज और नवाज शरीफ के पास ब्रिटेन का ILR है. बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी ने अपनी पढ़ाई विदेश में की थी. इमरान खान की कैबिनेट में कई मंत्री अमेरिका और यूके के नागरिक थे.
देश के कंधों पर बोझ, लेकिन दिल है परदेस में
पाकिस्तान के सत्ताधारी और सैन्य नेतृत्व पर बार-बार यह आरोप लगता रहा है कि वे देश में तो सत्ता का लाभ उठाते हैं, लेकिन जब बात स्थायित्व और सुरक्षा की आती है, तो उनकी नजरें विदेश की ओर मुड़ जाती हैं. यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो लोग खुद को देश का रखवाला बताते हैं, अगर वे अपने परिवार को ही देश में सुरक्षित नहीं मानते, तो आम नागरिकों का भरोसा कैसे कायम रहेगा?
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