पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर इन दिनों चीन के दौरे पर हैं, और उनकी यात्रा को लेकर पाक मीडिया में ढेर सारी तारीफ की जा रही है. चीन-पाकिस्तान के मजबूत रिश्तों का हवाला देते हुए मीडिया दोनों देशों के बीच 'स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप' की बात कर रहा है. हालांकि, इस दौरे की असलियत कुछ और ही नजर आती है, जहां मुनीर को चीन में बेइज्जती का सामना करना पड़ा.
मुनीर की मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वांग यी से हुई, और इस दौरान पाकिस्तान को एक तगड़ी लताड़ मिली. वांग यी ने पाक में रह रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान को इस मामले में विफल बताया. चीन ने पाकिस्तान से अपनी कमजोरी को स्वीकार करने की मांग की, खासकर सीपीईसी परियोजना और चीनी नागरिकों की सुरक्षा के बारे में.
चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात में मुनीर को मिली लताड़
मुनीर ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान की प्रतिबद्धता की बात तो की, लेकिन इस बातचीत के बाद यह साफ हो गया कि चीन के लिए पाकिस्तान की नाकामी स्वीकार करने का वक्त आ चुका था.
टोपी उतरवाने का मामला
जनरल मुनीर के दौरे की एक और दिलचस्प बात ये रही कि जब मुनीर चीन के उप राष्ट्रपति हान झेंग से मिलने पहुंचे, तो उनकी सिर पर टोपी गायब थी. जब वह वांग यी से मिल रहे थे तो उनके सिर पर टोपी थी, लेकिन हान से मुलाकात से पहले अचानक वह टोपी हटवा दी गई. यह कदम चीन की ओर से उनके सम्मान में नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक दबाव के रूप में देखा जा रहा है.
पाक मीडिया की मनमानी तारीफ
पाकिस्तान के मीडिया में इस यात्रा की खूब तारीफ की जा रही है. आईएसपीआर (Inter-Services Public Relations) ने एक विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि चीनी राजनयिकों और सेना ने पाकिस्तान की सेना की खूब सराहना की. इसमें यह भी बताया गया कि दोनों देशों के बीच कई बैठकें हुईं और दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ संबंधों को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई. हालांकि, पाकिस्तान के इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह सवाल उठता है, क्योंकि चीन की ओर से मुनीर को दी गई बेइज्जती और दबाव को नजरअंदाज करना मुश्किल है.
पीएलए के अधिकारियों से मुलाकात
इसके बाद मुनीर ने चीनी सेना (पीएलए) के अधिकारियों से भी मुलाकात की. उन्होंने पीएलए के उपाध्यक्ष जनरल झांग यूक्सिश्या और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की. हालांकि, इन मुलाकातों के दौरान दोनों देशों के रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर चर्चा हुई, लेकिन इन चर्चाओं के दौरान पाकिस्तान को यह एहसास हुआ होगा कि चीन के दबाव में आकर ही यह रिश्ते मजबूत हो सकते हैं.
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