पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल असीम मुनीर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में हैं. इस बार वे चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे, जहां चीनी विदेश मंत्री वांग यी से उनकी अहम मुलाकात हुई. यह दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान और चीन के रिश्तों की दिशा और मजबूती को लेकर कई सवाल उठे थे.
बैठक में वांग यी ने असीम मुनीर को आश्वस्त किया कि बीजिंग आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई में पूरी तरह उसके साथ खड़ा है. इतना ही नहीं, चीन ने यह भी भरोसा दिलाया कि पाकिस्तान में चल रहे सभी चीनी प्रोजेक्ट समय पर पूरे किए जाएंगे और वहां काम कर रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर उसे पाकिस्तान की सेना पर पूरा भरोसा है.
‘सेना ही रणनीतिक साझेदारी की रीढ़’ बीजिंग का असीम पर भरोसा
बीजिंग में हुई इस उच्च स्तरीय वार्ता में चीन ने पाकिस्तान की सेना को दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों की रीढ़ बताया. वांग यी ने कहा कि चीन-पाकिस्तान के रिश्ते किसी भी परिस्थिति में अडिग रहते हैं और दोनों देश एक-दूसरे के ‘ऑल-वेदर स्ट्रैटेजिक पार्टनर’ हैं. असीम मुनीर ने भी चीन के समर्थन के लिए आभार जताते हुए साफ किया कि पाकिस्तान में मौजूद सभी चीनी नागरिकों और निवेशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना पाकिस्तानी सेना की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया.
ऑपरेशन सिंदूर में चीन की मदद, भारत की आपत्ति
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन पर पाकिस्तान को तकनीकी और सैन्य मदद देने के आरोप लगे थे. भारतीय सेना ने दावा किया है कि उस संघर्ष के समय चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट निगरानी में सहायता दी, जिससे उसे भारतीय सैन्य गतिविधियों की जानकारी मिलती रही. यह घटना भारत-चीन संबंधों पर भी असर डाल सकती है.
CPEC पर चीन का फिर से भरोसा, निवेश और सुरक्षा दोनों अहम
पाकिस्तान में चीन के अरबों डॉलर के निवेश वाले प्रोजेक्ट्स, खासकर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC), को लेकर इस दौरे में स्पष्ट संदेश दिया गया. चीन ने कहा कि वह इन प्रोजेक्ट्स को लेकर प्रतिबद्ध है, और सुरक्षा की जिम्मेदारी पाकिस्तान बखूबी निभा रहा है. पाकिस्तान में सैकड़ों की संख्या में काम कर रहे चीनी इंजीनियर और टेक्निकल स्टाफ को हाल के वर्षों में हमलों का सामना करना पड़ा है, जिससे बीजिंग चिंतित रहा है. लेकिन इस मुलाकात के बाद चीन को भरोसा मिला है कि पाकिस्तान की सेना इन हमलों से निपटने में सक्षम है.
डिप्लोमेसी में शहबाज की जगह असीम मुनीर क्यों?
एक दिलचस्प पहलू यह है कि जहां अन्य देशों में विदेश नीति और रणनीतिक साझेदारी की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री संभालते हैं, वहीं पाकिस्तान में सेना प्रमुख असीम मुनीर खुद इस भूमिका में दिखाई दे रहे हैं. इससे पहले वे अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, ईरान, अजरबैजान और तुर्की जैसे देशों की यात्राएं कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये दौरे केवल औपचारिक मुलाकातें नहीं, बल्कि रक्षा सहयोग, सैन्य सौदों और क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीतियों को लेकर गहराई से डिजाइन किए गए हैं.
संवेदनशील वार्ता, लेकिन गहरा संदेश
बीजिंग में हुई इस ताज़ा बैठक में क्या विशेष सुरक्षा समझौते हुए, इसका विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और चीन-पाक रक्षा रणनीति को लेकर कई संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा हुई है, जिन्हें फिलहाल गोपनीय रखा गया है.
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