नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 में भाग लिया और स्वामी दयानंद सरस्वती की दूरदर्शिता और उनके समाज सुधार के विचारों को याद किया. उन्होंने कहा कि दयानंद सरस्वती केवल विदेशी शासन की जंजीरों को नहीं तोड़ना चाहते थे, बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव की जंजीरों को भी तोड़ना उनके जीवन का लक्ष्य था.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, “स्वतंत्रता संग्राम के कई क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से प्रेरणा ली. बावजूद इसके राजनीतिक कारणों से इस महान संस्था को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. आर्य समाज हमेशा राष्ट्रभक्ति की मिसाल रहा है और विदेशी मानसिकता को चुनौती देने में अग्रणी रहा है.”
LIVE: PM Shri @narendramodi attends the International Arya Mahasammelan 2025 in New Delhi. https://t.co/Jg3ssW9UHz
— BJP (@BJP4India) October 31, 2025
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की धरती और इसकी सभ्यता युगों से अमर है, और समय-समय पर महर्षियों का अवतरण समाज को नई दिशा देता रहा है. स्वामी दयानंद सरस्वती भी इसी परंपरा के महान महर्षि थे, जिन्होंने समाज को नई चेतना दी.
क्रांतिकारियों ने आर्य समाज से ली प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कठिन समय में, जब कुरीतियों ने समाज में जगह बना ली थी और अंग्रेज हमारी संस्कृति को नीचा दिखा रहे थे, तभी एक युवा संन्यासी समाज को झकझोरता है. स्वामी दयानंद सरस्वती ने भारतीय चेतना को जागृत किया और लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया.
आर्य समाज ने विदेशी नैरेटिव को चुनौती दी
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आर्य समाज ने न केवल विदेशी विचारधारा का मुकाबला किया, बल्कि शास्त्रार्थ की परंपरा से यह साबित किया कि समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. आर्य समाज के स्कूलों और महाविद्यालयों में लड़कियों को शिक्षा देने का कार्यक्रम शुरू किया गया, जिससे आज महिलाएं राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रही हैं.
प्रधानमंत्री ने इसे उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू राफेल में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह भी इसका हिस्सा रही.
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