पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न के आरोप एक बार फिर चर्चा में हैं. अपोस्टोलिक चर्च पाकिस्तान के अध्यक्ष अफराहिम रोशन ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पीपीपी से जुड़े वकीलों और नेताओं पर उनके परिवार को प्रताड़ित करने और न्याय से वंचित करने का आरोप लगाया है.
झूठे केस में फंसाया, फिर अदालत में पीटा गया
पत्र में अफराहिम रोशन ने साफ शब्दों में लिखा है कि उनके बेटों मैथ्यू मार्कस और जॉनथन के खिलाफ पुलिस स्टेशन क्लिफ्टन, कराची में एफआईआर नंबर 359/2025 दर्ज की गई है. इसमें उन पर 32 लाख रुपये की धोखाधड़ी और टोयोटा कोरोला (BRK-373) की चोरी का आरोप लगाया गया है, जबकि उन्होंने दावा किया कि वह गाड़ी उनके नाम पर पंजीकृत है. जब उन्होंने इस मामले में अदालत से मदद लेनी चाही, तो वहां उनके साथ जो कुछ हुआ, वह और भी अधिक चौंकाने वाला है.
अदालत में 20 वकीलों ने किया हमला, जान से मारने की धमकी
रोशन ने आरोप लगाया कि पीपीपी के पीपुल्स लॉयर्स फोरम के महासचिव, एडवोकेट जाहिद हुसैन सुमरो ने करीब 20 वकीलों के साथ मिलकर अदालत परिसर में उनके और उनके बेटों पर हमला कर दिया. उन्होंने बताया, “हमें धमकाया गया कि अगर अगली बार अदालत आए तो हमारी टांगें तोड़ दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन कोई मदद नहीं की गई. जज को मामले की जानकारी दी गई, जिन्होंने औपचारिक आवेदन दायर करने को कहा, मगर आज तक कोई कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की गई. उनके बेटे अब भी जेल में हैं.
यह केवल हमला नहीं, हमारे अस्तित्व पर चोट है
अफराहिम रोशन ने इस पत्र में लिखा, “यह हमला केवल हमारे शरीर पर नहीं, बल्कि हमारी आत्मा, हमारे सम्मान और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था में हमारे भरोसे पर था.” उन्होंने पीड़ा जताई कि देश की एक वफादार ईसाई समुदाय होने के बावजूद उन्हें अल्पसंख्यक होने की सजा दी जा रही है. उनका कहना था, “हम हमेशा पाकिस्तान की शांति के लिए दुआ करते आए हैं, लेकिन अब हमें ऐसा महसूस कराया जा रहा है जैसे हमारे कोई अधिकार ही नहीं बचे.”
सरकार और समाज से न्याय की उम्मीद
अफराहिम रोशन के इस पत्र ने धार्मिक स्वतंत्रता, न्यायिक निष्पक्षता और मानवाधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे संगठनों ने भी इस मामले में संज्ञान लेने की मांग की है. अब देखने की बात यह होगी कि क्या बिलावल भुट्टो और पीपीपी इस गंभीर आरोप का कोई जवाब देते हैं, या यह मामला भी पाकिस्तान की अनसुनी आवाजों में शामिल होकर दबा दिया जाएगा.
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