कुछ बड़ा होने वाला है! राष्ट्रपति से मिले अमित शाह और जयशंकर; सौंपी लाल रंग की सीक्रेट फाइल

    नई दिल्ली की हवा में आज कुछ बदला-बदला सा था. राष्ट्रपति भवन में हलचल थी, और उस हलचल का केंद्र थी — एक ‘लाल फाइल’. गुरुवार की शाम, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर सीधे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंचे.

    Amit Shah s jaishankar meeting with president murmu over pahalgam attack
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    नई दिल्ली की हवा में आज कुछ बदला-बदला सा था. राष्ट्रपति भवन में हलचल थी, और उस हलचल का केंद्र थी — एक ‘लाल फाइल’. गुरुवार की शाम, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर सीधे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंचे. उनके हाथों में थी वही लाल फाइल, जिसे देखकर राजनीतिक गलियारों से लेकर खुफिया एजेंसियों तक, सबकी निगाहें टिकी रह गईं.

    इस अप्रत्याशित मुलाकात के साथ ही कयासों का दौर तेज़ हो गया है. क्या यह वही दस्तावेज है जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ भारत की अब तक की सबसे कठोर रणनीति दर्ज है? क्या यह कूटनीतिक युद्ध का प्रोटोकॉल है, जो अब अंतिम मंज़ूरी की ओर बढ़ रहा है?

    पहलगाम हमले के बाद भारत एक्शन मोड में

    22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत की प्रतिक्रिया तेज़ और निर्णायक रही है. एक ओर आंतरिक सुरक्षा एजेंसियां हर पहलू को खंगाल रही हैं, वहीं विदेश मंत्रालय ने भी मोर्चा संभाल लिया है. सोमवार को भारत ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया करीब 200 देशों के राजनयिकों को बुलाकर भारत ने विस्तार से बताया कि यह हमला सिर्फ निर्दोषों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और आर्थिक स्थिरता पर हमला था. ये हमला भारत की नई कश्मीर नीति को पटरी से उतारने की कोशिश थी.

    भारत ने दिखाई पाक की असलियत, जुटाया वैश्विक समर्थन

    विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, जापान, जर्मनी, इटली, यूएई, कतर, मलेशिया, नार्वे और चीन समेत दर्जनों देशों को बताया गया कि कैसे पाकिस्तान अब भी सीमापार आतंकवाद का अड्डा बना हुआ है. यह कोई एक हमला नहीं था—यह उस इकोसिस्टम की उपज है जिसे पाकिस्तान दशकों से पनाह देता आया है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह साफ कर दिया है कि अब वह सिर्फ बयान जारी नहीं करेगा—कार्रवाई भी होगी, और वह निर्णायक होगी.

    क्या होने वाला है कुछ बड़ा?

    लाल फाइल का राष्ट्रपति भवन पहुंचना केवल प्रतीक नहीं, यह संकेत है. संकेत इस बात का कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति पर उतर आया है. पाकिस्तान को लेकर बनाई गई यह नीति अब सिर्फ मंत्रालयों की फाइलों में नहीं, राष्ट्रपति की मुहर के बाद कूटनीतिक और रणनीतिक धरातल पर उतरने को तैयार है.

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