अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में दावा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक संभावित युद्ध को रोकने और उसे समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 8 जुलाई को व्हाइट हाउस में आयोजित एक कैबिनेट बैठक में रुबियो ने यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने ट्रंप के नेतृत्व को सराहा और भारत-पाकिस्तान के संघर्ष को नियंत्रित करने में अमेरिकी हस्तक्षेप को महत्वपूर्ण बताया.
रुबियो ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति महोदय, मैं यहां एक सूची देख रहा हूं और इनमें से सभी उपलब्धियां जो आपने घरेलू स्तर पर हासिल की हैं, उनमें एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि हमने आपके नेतृत्व में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका और समाप्त किया.’’ उनका यह बयान वैश्विक कूटनीतिक पहलुओं पर ट्रंप प्रशासन की प्रभावशीलता को उजागर करता है.
शांति समझौतों की ओर रुबियो की ओर से उठाए गए मुद्दे
रुबियो ने आगे कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा के बीच शांति समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘12 दिन लंबा युद्ध था, जो अमेरिकी प्रयासों के कारण समाप्त हुआ. हम दुनिया का एकमात्र देश हैं जो ऐसा कर सकते थे.’’ उन्होंने अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच शांति की संभावना का भी संकेत दिया, साथ ही सीरिया और लेबनान से संबंधित घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिम एशिया में बदलाव की संभावना है. उन्होंने ट्रंप के नेतृत्व को इस बदलाव की दिशा में निर्णायक बताया.
ट्रंप का भारत-पाकिस्तान युद्ध पर बयान
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद भी यह दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को नियंत्रित किया, जो अगर बढ़ता तो परमाणु युद्ध में बदल सकता था. ट्रंप ने यह कहा था कि उन्होंने दोनों देशों से यह स्पष्ट रूप से कहा कि यदि वे युद्ध जारी रखते हैं तो अमेरिका उनके साथ व्यापार संबंध समाप्त कर देगा. ट्रंप का कहना था कि यह व्यापार समझौता था, जिसने युद्ध को रोकने में मदद की.
भारत का पक्ष
हालांकि, भारत की तरफ से इस दावे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की गई है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) के साथ संपर्क के बाद ही सैन्य कार्रवाई को रोकने पर विचार किया गया था. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष को रोकने में अमेरिकी हस्तक्षेप का कोई प्रमुख योगदान नहीं था, बल्कि द्विपक्षीय सैन्य संवाद और कूटनीतिक प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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