बीजिंगः भारत-पाकिस्तान सैन्य तनाव ने एक बार फिर चीन के बनाए लड़ाकू विमान J-10C को सुर्खियों में ला दिया है. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारतीय ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में इस विमान का इस्तेमाल किया. हालांकि भारत के खिलाफ पेश किए गए आरोपों और दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं दिए गए हैं, लेकिन चीन से मिले इस विमान को लेकर अब वैश्विक सैन्य विश्लेषकों में नई बहस शुरू हो गई है.
J-10C को अक्सर अमेरिका के F-16 का 'चीनी वर्जन' कहा जाता है. माना जाता है कि चीन ने इसकी तकनीक अमेरिका से चोरी की थी. यही कारण है कि अब यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या चीन इस विमान का उपयोग ताइवान पर संभावित हमले में कर सकता है?
चीनी सैन्य ताकत का प्रतीक बना J-10C, लेकिन क्या यह अमेरिका की टक्कर का है?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की वायु शक्ति अब भी अमेरिकी एयरफोर्स के मुकाबले कमजोर है. J-10C पूरी तरह से स्टील्थ नहीं है और न ही यह F-22 या F-35 जैसी पांचवीं पीढ़ी की क्षमता रखता है, लेकिन इसमें कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी है जो इसे रडार पर कम दिखाई देती है.
फिर भी इस लड़ाकू विमान को चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी जमकर प्रमोट कर रही है. यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2027 तक PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को पूरी तरह आधुनिक बनाने के लक्ष्य का हिस्सा है. इसके जरिए चीन अपनी सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने एक संदेश के तौर पर पेश कर रहा है — भले ही उस क्षमता की सीमाएं क्या हैं, यह अब भी बहस का विषय है.
भ्रष्टाचार से जूझते हुए भी चीन बढ़ा रहा है सैन्य उत्पादन
इस दौरान चीन की सैन्य व्यवस्था में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार की खबरें भी सुर्खियों में हैं. PLA से जुड़े कई बड़े अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाया गया है. हालांकि, इसके बावजूद चीन के लड़ाकू विमान निर्माण और आधुनिकीकरण की गति धीमी नहीं पड़ी है. J-10C और J-16 जैसे विमानों का उत्पादन तीन गुना तक बढ़ाया जा रहा है. शी जिनपिंग की भ्रष्टाचार के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' नीति के बीच यह सैन्य विस्तार दिखाता है कि बीजिंग किसी भी हाल में 2027 के 'सुपर आर्मी' लक्ष्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता.
अमेरिका की वायुसेना आज भी सबसे बड़ी ताकत, लेकिन क्या चीन धीरे-धीरे करीब आ रहा है?
दुनिया भर की सैन्य ताकतों की तुलना में अमेरिकी वायुसेना अब भी सबसे आगे है. उसके पास जितने विमान हैं, उतने रूस, चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया की वायु सेनाओं को मिलाकर भी नहीं हैं.
हालांकि, अमेरिका की इस बढ़त को धीरे-धीरे चुनौती मिल रही है. अमेरिकी लड़ाकू विमानों का एक बड़ा हिस्सा दशकों पुराना है, जबकि चीन हर साल सौ से अधिक J-20 जैसे स्टेल्थ फाइटर बना रहा है. चीन की यह सफलता सरकारी नियंत्रण वाले केंद्रीकृत उत्पादन मॉडल की वजह से संभव हो पाई है.
अगर ताइवान पर हमला हुआ तो क्या J-10C अमेरिकी फाइटर्स का सामना कर पाएगा?
आशंका जताई जा रही है कि चीन भविष्य में ताइवान पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. अगर ऐसा होता है, तो J-10C जैसे लड़ाकू विमान सीधे तौर पर अमेरिकी F-35 और F-22 से टकराएंगे. J-10C की सबसे बड़ी खासियत इसकी बड़ी संख्या है — चीन के पास इस मॉडल के सैकड़ों विमान हैं. लेकिन जब मुकाबला होगा अत्याधुनिक तकनीक और युद्ध-कुशलता का, तब क्या यह विमान अमेरिकी ताकत को टक्कर दे पाएगा?
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