वॉशिंगटन/नई दिल्ली: हिंद महासागर के रणनीतिक केंद्र डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य विमानों की बड़ी संख्या में मौजूदगी से अंतरराष्ट्रीय सामरिक हलकों में हलचल मच गई है. नई सैटेलाइट इमेज से पुष्टि हुई है कि अमेरिका ने यहां B-52 बमवर्षक, F-15 फाइटर जेट और KC-135 टैंकर विमान तैनात किए हैं — जो न केवल इस क्षेत्र की भू-राजनीतिक नाजुकता को दर्शाता है, बल्कि संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारियों की ओर भी संकेत करता है.
सैटेलाइट इमेज से क्या संकेत मिलते हैं?
ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस विश्लेषक एमटी एंडरसन के अनुसार, डिएगो गार्सिया पर हाल में दर्ज की गई सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाई देता है:
इन विमानों की मौजूदगी अमेरिका की लंबी दूरी की हमले की क्षमता को दर्शाती है, खासकर ऐसे समय में जब मध्य-पूर्व में ईरान, यमन और सीरिया को लेकर तनाव चरम पर है.
✈️ Diego Garcia: Persistent Power Projection - Latest Snapshot (June 29, 2025)
— MT Anderson (@MT_Anderson) June 29, 2025
New satellite imagery from NSF Diego Garcia today, June 29, 2025, offers a fresh perspective on the enduring strategic importance of this key Indian Ocean facility. Despite shifting regional dynamics,… pic.twitter.com/KXuL39kZRQ
डिएगो गार्सिया का रणनीतिक महत्व
डिएगो गार्सिया ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का हिस्सा है, लेकिन इसका संचालन अमेरिका के पास है. यह बेस ईरान से लगभग 2,200 मील और दक्षिणी चीन से 3,000 मील की दूरी पर स्थित है.
यह यूएस एयरफोर्स के लिए एक अग्रिम मोर्चा की तरह कार्य करता है — जहां से लंबी दूरी के हमले, निगरानी मिशन और ईंधन भराई अभियानों को आसानी से अंजाम दिया जा सकता है. KC-135 टैंकरों की तैनाती यह सुनिश्चित करती है कि अमेरिकी लड़ाकू विमान दूर-दराज के लक्ष्य तक भी पहुंच सकें, बिना लौटे.
पृष्ठभूमि में क्या चल रहा है?
मार्च 2025 से ही डिएगो गार्सिया में हलचल बढ़ी थी. उस दौरान कुछ विश्लेषकों ने आशंका जताई थी कि अमेरिका ईरान पर लक्षित हवाई हमलों की योजना बना सकता है. बाद में यह पुष्टि हुई कि 13 जून को अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बमवर्षकों के जरिए ईरान की तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमला किया.
अब B-2 की वापसी के बाद B-52 की तैनाती इस बात की ओर इशारा करती है कि अमेरिका अभी पीछे हटने के मूड में नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय रणनीतिक बढ़त बनाए रखने के लिए विकल्प खुले रखे हैं.
निशाने पर कौन हो सकता है?
ईरान: हालिया अमेरिकी-इजरायली हमलों के बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव चरम पर है.
यमन और सीरिया: इन देशों में ईरान समर्थित समूहों की सक्रियता और अमेरिकी हितों पर खतरे को लेकर संभावित निगरानी और हस्तक्षेप की तैयारी हो सकती है.
चीन: हालांकि यह एक अप्रत्यक्ष संकेत है, लेकिन डिएगो गार्सिया से दक्षिण चीन सागर और मालक्का स्ट्रेट जैसी सामरिक गलियों पर नजर रखी जा सकती है.
भारत के लिए क्या मायने रखता है?
डिएगो गार्सिया भारत के दक्षिण में स्थित है और भारत के रणनीतिक समुद्री हितों के बेहद नजदीक आता है. ऐसे में अमेरिका की बढ़ती उपस्थिति:
लेकिन इसके साथ ही यह चीन और ईरान जैसे देशों के साथ भारत की कूटनीतिक चालों को भी और सावधानी से साधने की मांग करता है.
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