'मेरे टखने, कलाई और पूरा शरीर जंजीरों में जकड़ा हुआ था', भारतीय शख्स पर अमेरिका की क्रूरता

    अमेरिका में भारतीय मूल के एक शिक्षाविद् के साथ हुई घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर व्यक्तिगत अधिकारों का हनन उचित है?

    America cruelty on Badar Khan Suri
    बदर खान सूरी

    अमेरिका में भारतीय मूल के एक शिक्षाविद् के साथ हुई घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर व्यक्तिगत अधिकारों का हनन उचित है? जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के विजिटिंग स्कॉलर बदर खान सूरी को हाल ही में अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा हमास से कथित संबंधों के संदेह में हिरासत में लिया गया था. हालांकि किसी ठोस सबूत के अभाव में उन्हें दो महीने बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन इस दौरान जो कुछ उनके साथ हुआ, वह उनके ही शब्दों में ‘अमानवीय और झकझोर देने वाला’ था.

    गिरफ्तारी और अज्ञात डिटेंशन का सफर

    बदर खान सूरी को वर्जीनिया के आर्लिंगटन स्थित उनके निवास से सादे कपड़ों में आए एजेंटों ने अचानक गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद उन्हें बिना किसी स्पष्ट जानकारी के विभिन्न डिटेंशन सेंटरों में ट्रांसफर किया गया. टेक्सास के प्रेयरीलैंड डिटेंशन सेंटर से रिहा होने के बाद एनबीसी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, “पहले सात-आठ दिनों तक मुझे यह भी नहीं पता था कि दिन है या रात. मैं अपनी परछाईं तक नहीं देख सका. मेरे टखने, कलाई और पूरा शरीर जंजीरों में जकड़ा हुआ था.”

    परिवार पर गहरा असर, बच्चों को काउंसलिंग की ज़रूरत

    इस पूरी प्रक्रिया का गहरा असर सिर्फ खान सूरी पर ही नहीं, बल्कि उनके परिवार पर भी पड़ा. उनकी पत्नी ने बताया कि उनके बच्चे—नौ साल का बेटा और पांच साल के जुड़वां बच्चे—इस सदमे से बाहर नहीं आ पा रहे थे. उनका बड़ा बेटा इस कदर टूट गया था कि उसे पेशेवर काउंसलिंग की आवश्यकता पड़ी.

    अदालत का आदेश: संविधान का उल्लंघन हुआ

    बुधवार को अमेरिका की अलेक्जेंड्रिया, वर्जीनिया की यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज पेट्रीसिया गिल्स ने खान सूरी की तत्काल रिहाई का आदेश दिया. जज ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस हिरासत ने अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन — यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता — का उल्लंघन किया है. जज गिल्स के फैसले को मानवाधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक साहसिक कदम माना जा रहा है.

    "कोई और इस अन्याय का शिकार न बने"

    रिहाई के बाद खान सूरी ने कहा, “मैं अपने परिवार के पास लौटकर खुश हूं, लेकिन इस अनुभव ने मुझे अंदर तक तोड़ दिया है. मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि किसी और के साथ ऐसा न हो.”

    शिक्षाविद्, शोधकर्ता, और विवाद का केंद्र

    खान सूरी भारत के प्रतिष्ठित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से पढ़े हुए हैं और वर्तमान में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यकों के अधिकार विषय पर पढ़ा रहे थे. हालांकि उनकी गिरफ्तारी की वजह कथित रूप से हमास से संबंध बताया गया—जिसे अमेरिका आतंकवादी संगठन मानता है—मगर इस दावे को लेकर कोई सार्वजनिक साक्ष्य सामने नहीं आया.

    ये भी पढ़ेंः भारत की कार्रवाई से ऐसा डरा पाकिस्तान, रावलपिंडी से शिफ्ट करेगा नूर खान एयरबेस! मुनीर कहां भागेगा?