रूस और ईरान मिलकर ड्रोन टेक्नोलॉजी को हथियार बना चुके हैं. यूक्रेन में रूस का अटैक हो या मिडिल ईस्ट में ईरानी ड्रोन स्ट्राइक—दोनों ने दिखा दिया है कि अगला युद्ध आसमान से लड़ा जाएगा. और अब अमेरिका ने भी यह मान लिया है कि सिर्फ देखते रहने से बात नहीं बनेगी. ट्रंप के करीबी और अमेरिका के विदेश मंत्री पीट हेगसेथ ने दुनिया के सामने एलान किया है: “We’re in fight.” यानी अमेरिका अब ड्रोन वॉर में मैदान में उतर चुका है, वह भी पूरी ताकत से.
आक्रामक अमेरिकी रक्षा नीति की नींव
हेगसेथ की यह घोषणा सिर्फ बयानबाज़ी नहीं है. यह एक नई और आक्रामक अमेरिकी रक्षा नीति की नींव है. नाम दिया गया है ‘यूएस ड्रोन डोमिनेंस प्लान’. इसका मकसद बिल्कुल साफ है—अब ड्रोन सिर्फ रूस या ईरान का गेम नहीं रहेगा, अमेरिका भी अब अपने हाई-टेक, स्वदेशी ड्रोन उतारेगा जो दुनिया को अपनी टेक्नोलॉजी और पावर का अहसास कराएंगे. ड्रोन प्रोडक्शन को फास्ट ट्रैक किया जाएगा, तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाई-रेंज सेंसर शामिल होंगे और इन्हें ‘Made in America’ टैग के साथ दुनिया के सबसे आधुनिक वॉर मशीन में बदला जाएगा.
ड्रोन युद्ध अब थ्योरी नहीं, रीयलिटी है. रूस और ईरान ने इसको साबित कर दिया है. हजारों सस्ते लेकिन सटीक ड्रोन बनाकर उन्होंने युद्ध के नियम बदल डाले हैं. यूक्रेन की जंग में ईरानी Shahed ड्रोन ने जो तबाही मचाई, उसने अमेरिका की आंखें खोल दीं. अब यह बात समझ में आ गई है कि अगला वॉरफेयर टैंक या फाइटर जेट नहीं, उड़ते हुए रोबोट तय करेंगे.
आर्थिक और तकनीकी गेमचेंजर
ट्रंप प्रशासन अब इसे केवल सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि आर्थिक और तकनीकी गेमचेंजर मान रहा है. इस योजना से अमेरिका की घरेलू इंडस्ट्री को नई रफ्तार मिलेगी. मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार के नए मौके पैदा होंगे और टेक सेक्टर में घरेलू डेवेलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा. दूसरे शब्दों में, यह सिर्फ डिफेंस पॉलिसी नहीं, यह अमेरिका की घरेलू ताकत और स्ट्रैटेजिक इंडिपेंडेंस का भी एलान है.
साफ है कि ड्रोन अब सिर्फ निगरानी या हमले के टूल नहीं हैं. ये सुपरपावर बनने का नया पैमाना बन चुके हैं और अमेरिका इस होड़ में अब चुप नहीं रहने वाला. अब वो मैदान में है, पूरी तैयारी के साथ.
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