विश्व राजनीति में लगातार बदलाव आ रहे हैं, और अब ईरान और रूस का बढ़ता गठजोड़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चिंता का विषय बन गया है. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस अलग-थलग पड़ा तो वहीं ईरान पर वर्षों से पश्चिमी प्रतिबंध लगे हुए हैं. ऐसे में दोनों देशों ने न सिर्फ व्यापार बल्कि सुरक्षा और तकनीकी क्षेत्र में भी अपने रिश्तों को मजबूत किया है. फाइनेंशियल टाइम्स की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों ने 2024 में रूस का गुप्त दौरा किया था, जो परमाणु हथियार तकनीक के लिहाज से अहम माना जा रहा है.
मास्को की रहस्यमयी यात्रा
फाइनेंशियल टाइम्स ने दस्तावेज़ों और कॉर्पोरेट रिकॉर्ड के हवाले से बताया कि ईरान के वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक अली कलवंद और उनके चार सहयोगी 4 अगस्त 2024 को रूस पहुंचे थे. यह यात्रा एक कूटनीतिक मिशन के रूप में दर्ज की गई थी, लेकिन इन वैज्ञानिकों ने खुद को तेहरान स्थित एक परामर्श फर्म से जुड़ा हुआ बताया. असल में, उनका उद्देश्य था रूस के एक ऐसे संस्थान का दौरा करना जो "डुअल यूज़ टेक्नोलॉजी" यानी दोहरे उपयोग वाली तकनीकें विकसित करता है — जिनका उपयोग सामान्य उद्देश्यों के साथ-साथ परमाणु हथियार अनुसंधान में भी किया जा सकता है.
कौन हैं अली कलवंद?
अली कलवंद, 43 वर्षीय ईरानी परमाणु वैज्ञानिक, अब अंतरराष्ट्रीय रडार पर हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका संबंध ईरान की गुप्त सैन्य अनुसंधान इकाई SPND (ऑर्गनाइजेशन ऑफ डिफेंसिव इनोवेशन एंड रिसर्च) से है. यही संस्था अमेरिका के अनुसार ईरान के पुराने परमाणु हथियार कार्यक्रम की नई पहचान है. मई 2024 में कलवंद ने रूस की एक आपूर्तिकर्ता कंपनी को पत्र लिखकर ट्रिटियम, स्ट्रोंटियम-90 और निकल-63 जैसे रेडियोधर्मी आइसोटोप्स में रुचि जताई थी. ये पदार्थ परमाणु हथियारों की क्षमता को बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं, हालांकि इनकी आपूर्ति को लेकर अब तक कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिला है.
ईरानी प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल था?
कलवंद के साथ ईरान से जो अन्य वैज्ञानिक रूस गए थे, उनमें प्रमुख नाम सौरुष मोहतशमी का है, जो न्यूट्रॉन जनरेटर तकनीक के विशेषज्ञ हैं. इसके अलावा जवाद घासेमी भी इस प्रतिनिधिमंडल में थे, जो पहले एक अमेरिकी-प्रतिबंधित कंपनी के CEO रह चुके हैं. माना जाता है कि वह SPND के लिए तकनीकी खरीद में अहम भूमिका निभाते थे.
इज़राइली प्रतिक्रिया और पश्चिमी चिंता
इस रिपोर्ट के सामने आने से पश्चिमी देशों में चिंता की लहर दौड़ गई है. जून 2025 में इज़राइली सेना ने SPND के मुख्यालय पर हमला किया था, जिसमें मोहतशमी के गुरु सहित कई वैज्ञानिक मारे गए थे. इज़राइल और अमेरिका लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सतर्क हैं.
ईरान का रुख: शांतिपूर्ण उद्देश्य या कुछ और?
ईरान हमेशा यह कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल ऊर्जा और चिकित्सा जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. हालांकि, रूस के साथ हो रहा यह गुप्त सहयोग और वैज्ञानिकों के दौरों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आशंकाएं गहरा रही हैं. अब तक न ही ईरान और न ही रूस ने इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है.
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