मध्य एशिया से होगी पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक! चूहे की मौत मरेगी शहबाज-मुनीर की सेना, खौफ में पाक आर्मी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार सेना को "मौके और जरूरत के अनुसार" कार्रवाई की पूरी छूट दे दी है. ऐसे में पाकिस्तान की टेंशन सिर्फ एलओसी तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी निगाहें अब उन मोर्चों पर भी हैं, जहां से वह कभी खतरे की कल्पना भी नहीं करता था.

    Airstrike on Pakistan from Central Asia Shehbaz Munir
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार सेना को "मौके और जरूरत के अनुसार" कार्रवाई की पूरी छूट दे दी है. ऐसे में पाकिस्तान की टेंशन सिर्फ एलओसी तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी निगाहें अब उन मोर्चों पर भी हैं, जहां से वह कभी खतरे की कल्पना भी नहीं करता था.

    इसी कड़ी में चर्चा में आया है ताजिकिस्तान स्थित भारत का आयनी एयरबेस, जो पाकिस्तान के लिए एक ‘साइलेंट थ्रेट’ बन चुका है. रणनीतिक लिहाज से देखा जाए तो यह एयरबेस भारत के लिए कई मोर्चों पर गेमचेंजर साबित हो सकता है.

    आयनी एयरबेस: पाकिस्तान की रणनीतिक चिंता का नया कारण

    ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के पास स्थित गिस्सार मिलिट्री एयरबेस (जिसे आयनी एयरबेस भी कहा जाता है), पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से महज़ 600 किलोमीटर और इस्लामाबाद से करीब 650 किलोमीटर की दूरी पर है. इस बेस की मौजूदगी भारत को पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे से ‘सरप्राइज स्ट्राइक’ की रणनीतिक क्षमता देती है—वो भी उस इलाके से, जहाँ पाकिस्तान का एयर डिफेंस लगभग नगण्य है.

    भारत की गहरी रणनीति: दो मोर्चों पर दबाव में आएगा पाकिस्तान

    भारत की यह रणनीति पाकिस्तान को अपनी पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर एयर डिफेंस सिस्टम फैलाने के लिए मजबूर कर सकती है. पाकिस्तान ने अब तक अधिकतर सुरक्षा पूर्वी सीमा पर केंद्रित की है, लेकिन आयनी जैसे एयरबेस की सक्रियता उसे पीछे के दरवाज़े पर भी चौकसी बढ़ाने को बाध्य कर सकती है. इससे पाकिस्तान की सेना पर संसाधनों और रणनीति दोनों स्तरों पर दबाव बढ़ेगा.

    भारत की सैन्य मौजूदगी: 30 साल से ताजिकिस्तान में सक्रियता

    भारत की ताजिकिस्तान में मौजूदगी कोई नई बात नहीं है. 1990 के दशक में भारत ने अफगान सीमा से सटे फरखोर में एक सैन्य अस्पताल स्थापित किया था. यह अस्पताल तालिबान के खिलाफ लड़ रहे उत्तरी गठबंधन के लिए एक अहम सपोर्ट बेस बना. 2001 में जब अहमद शाह मसूद घायल हुए थे, तब उन्हें इसी अस्पताल में लाया गया था. उसी दौरान अमेरिका पर 9/11 हमले हुए और उसके तुरंत बाद भारत ने ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस को सैन्य उपयोग के लिए विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया.

    एयरबेस की ताकत: लड़ाकू विमानों की तैनाती और तकनीकी सुविधा

    भारत ने इस एयरबेस को विकसित करने में अनुमानित 100 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. रनवे को 3200 मीटर तक बढ़ाया गया है, जो किसी भी बड़े लड़ाकू विमान की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए पर्याप्त है. कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यहां Su-30MKI जैसे एडवांस्ड फाइटर जेट्स की अस्थायी तैनाती भी हुई है, हालांकि इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है.

    ISR और खुफिया ऑपरेशन की बड़ी क्षमता

    इस एयरबेस की जियो-लोकेशन भारत को ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनिसेंस) मिशनों में अहम बढ़त दे सकती है. पेशावर, इस्लामाबाद और POK जैसे संवेदनशील पाकिस्तानी ठिकाने इस एयरबेस की रेंज में आते हैं. अफगानिस्तान का वाखान कॉरिडोर भारत को एक वैकल्पिक रास्ता देता है, जिससे बिना ज्यादा प्रतिरोध के POK तक पहुंचा जा सकता है.

    पाकिस्तान की मुश्किलें होंगी दोहरी

    यदि भारत इस एयरबेस को पूरी तरह ऑपरेशनल कर देता है, तो पाकिस्तान को पूर्वी सीमा के साथ-साथ पश्चिमी सीमा पर भी अपने संसाधन फैलाने होंगे. इससे उसकी सीमित सैन्य क्षमता और रक्षा बजट पर भारी दबाव पड़ेगा. यही नहीं, उसके मिसाइल डिफेंस और वायु सेना को दो फ्रंट पर तैयार रहना पड़ेगा, जो उसकी रणनीति को अस्थिर कर सकता है.

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