दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर रिश्तों में जबरदस्त तनाव देखने को मिल रहा है. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनातनी इस कदर बढ़ चुकी है कि अब सिर्फ बयानों की जंग नहीं, बल्कि सीधी सैन्य कार्रवाई और जवाबी चेतावनी सामने आ रही है.
क्या है हालिया विवाद का कारण?
तनाव की ताजा वजह है पाकिस्तान द्वारा कथित रूप से अफगानिस्तान की सीमा में की गई हवाई कार्रवाई. अफगान विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान के राजदूत उबैदुर रहमान निजामानी को तलब कर इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है. काबुल का आरोप है कि पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार और खोस्त प्रांतों में बमबारी की है, जिससे आम नागरिकों की जान गई है.
अफगान अधिकारियों के अनुसार, इस हमले में तीन नागरिकों की मौत हुई है और सात लोग घायल हुए हैं. काबुल ने इस कार्रवाई को सिर्फ सीमा उल्लंघन नहीं, बल्कि अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर हमला बताया है.
काबुल का दो-टूक अल्टीमेटम
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि उसका हवाई क्षेत्र कोई खेलने की चीज नहीं है. काबुल ने साफ किया, “अफगान हवाई सीमा हमारी लाल रेखा है. अगर इस तरह की लापरवाह हरकतें दोहराई गईं, तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.”
यह बयान न केवल कूटनीतिक असंतोष का संकेत है, बल्कि भविष्य में संभावित सैन्य प्रतिक्रिया की ओर भी इशारा करता है. अफगानिस्तान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की यह हरकत न केवल उकसावे वाली है, बल्कि क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने वाली भी है.
क्यों बढ़ रहा है तनाव?
पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे आतंकी संगठन अफगान धरती का इस्तेमाल करके पाकिस्तान के भीतर हमलों को अंजाम दे रहे हैं. इसके जवाब में पाकिस्तान कथित तौर पर सीमापार कार्रवाई करता रहा है, लेकिन काबुल इन आरोपों को सिरे से खारिज करता है.
तालिबान के 2021 में सत्ता में आने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़ते चले गए हैं. पाकिस्तान का मानना है कि अफगान सरकार आतंकियों पर कोई लगाम नहीं लगा रही, जबकि अफगानिस्तान का कहना है कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा नाकामियों का दोष उन पर मढ़ रहा है.
पाकिस्तान की सुरक्षा चुनौतियां
पाकिस्तान इन दिनों देश के भीतर तेजी से बढ़ते आतंकी हमलों से जूझ रहा है. खासकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षाबलों पर हमले बढ़ गए हैं. ऐसे में इस्लामाबाद की कोशिश है कि अफगानिस्तान पर दबाव बनाकर सीमापार से हो रही घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए.
हालांकि, अब काबुल ने बेहद आक्रामक रुख अपनाया है और साफ कहा है कि वह अपनी राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
यह तनाव क्यों है खतरनाक?
यह विवाद सिर्फ जुबानी हमलों तक सीमित नहीं है. पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर कई बार फायरिंग और गोलाबारी की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं. अब अगर सीमापार हवाई हमले और जवाबी चेतावनियां जारी रहीं, तो यह मामला किसी बड़े सैन्य टकराव की तरफ बढ़ सकता है.
इन दोनों देशों की सीमा पहले से ही बेहद संवेदनशील है. डुरंड रेखा (Durand Line) को लेकर विवाद भी दशकों पुराना है. पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा मानता है, लेकिन अफगानिस्तान आज भी इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं करता.
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