Afghanistan on Nuclear Bomb: अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक ऐसा बयान जारी किया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय हलकों में चर्चा को तेज कर दिया है. तालिबान के कट्टर विरोधी माने जाने वाले सालेह ने इस पोस्ट में चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि उन्होंने गुप्त रूप से परमाणु हथियार तैयार किए और अमेरिका को कई बार धोखा दिया.
उनके इस पोस्ट का लहजा व्यंग्यात्मक प्रतीत होता है, मगर उसमें छिपे राजनीतिक संकेत और कटाक्ष ने दुनियाभर के विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. “मैंने परमाणु तकनीक विकसित की, अमेरिकी कानूनों से बच निकला” अमरुल्लाह सालेह ने अपनी पोस्ट में लिखा: “मैंने गुप्त रूप से परमाणु हथियार तैयार किए, अमेरिकी कांग्रेस के कानूनों से खुद को बचाया और परमाणु बाजार का विस्तार किया. संभावित प्रतिबंधों से निपटने के लिए दोहरे उपयोग वाली तकनीकों की एक सूची भी बनाई.”
वे यहीं नहीं रुके, बल्कि यह भी जोड़ा कि जब उन पर उंगली उठी, तो उन्होंने अपने ही परमाणु वैज्ञानिक को बलि का बकरा बना डाला और पूरे प्रोजेक्ट को एक निजी पहल के तौर पर प्रचारित किया. साथ ही उन्होंने कई बार अमेरिका को अलग-अलग मकसदों से झांसे में रखने की बात भी स्वीकार की.
तालिबान विरोध और राजनीतिक संघर्ष की लंबी पृष्ठभूमि
सालेह अफगान राजनीति के उन चंद चेहरों में से एक हैं जो तालिबान के अधिग्रहण के बाद भी मैदान छोड़ने को तैयार नहीं थे. वर्ष 2020 में जब वे राष्ट्रपति अशरफ गनी के अधीन पहले उपराष्ट्रपति बने, तबसे लेकर 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे तक, उन्होंने लगातार प्रतिरोध का चेहरा बने रहना चुना. हालांकि, पंजशीर घाटी में हुए संघर्ष के बाद सालेह को ताजिकिस्तान में निर्वासन का रास्ता अपनाना पड़ा, मगर उन्होंने तालिबान विरोधी रुख बरकरार रखा.
मैंने आतंकियों को शरण दी, फिर भी ज़िंदा हूं
अपने पोस्ट में सालेह ने लिखा मैंने दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों को अपने देश में शरण दी. मैंने पड़ोसी देश में नरसंहार को बढ़ावा दिया. मेरी शासन व्यवस्था में सेना सबसे ऊपर है और लोकतंत्र उसके नीचे. उन्होंने खुद को “मास्टर सर्वाइवर” बताते हुए यह भी कहा कि वे हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कैसी भी भूमिका क्यों न निभानी पड़े.
भारत के प्रति समर्थन और पाकिस्तान पर कटाक्ष
अमरुल्लाह सालेह भारत के लिए खुले समर्थन के लिए जाने जाते हैं. वे पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और हस्तक्षेप को लेकर अक्सर कड़े बयान देते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में पहलगाम हमले को लेकर भी पाकिस्तान की आलोचना की थी. संदेश गहरा है लेकिन क्या यह हकीकत है या व्यंग्य? सालेह के इस बयान की भाषा और शैली ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे वास्तव में किसी रहस्योद्घाटन की बात कर रहे हैं या केवल एक तीखे राजनीतिक व्यंग्य से विश्व नेताओं और वैश्विक व्यवस्था पर कटाक्ष कर रहे हैं. हालांकि इतना तय है कि उनका यह पोस्ट अफगान राजनीति, सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक परमाणु नीति को लेकर कई सवाल खड़े करता है.
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