भारत और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से ठंडे पड़े व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर से हलचल दिखने लगी है. हाल ही में भारत सरकार ने 160 अफगान ट्रकों को अटारी-वाघा सीमा के ज़रिए देश में प्रवेश की अनुमति दी है. इन ट्रकों में सूखे मेवे और अन्य कृषि उत्पाद लदे हुए हैं. यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत और अफगानिस्तान के बीच सीधे राजनीतिक संवाद की पहली कड़ी जुड़ी है.
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बीच 15 मई को पहली बार आधिकारिक बातचीत हुई. इसी के बाद यह फैसला लिया गया, जिसे भारत की ओर से एक “विशेष पहल” माना जा रहा है—एक ऐसा कदम, जो तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक रास्ते खोलने की दिशा में एक रणनीतिक पहल है.
अभी तालिबान को मान्यता नहीं, पर सहयोग जारी
भारत ने फिलहाल तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय और व्यापारिक जरूरतों के लिहाज से बातचीत और सहयोग के दरवाजे खुले रखे हैं. अटारी के एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) पर इन ट्रकों को अपना माल उतारने की अनुमति मिली है, हालांकि सीमा पार व्यापार पर अब भी काफी हद तक रोक बनी हुई है.
ICP की आंशिक सक्रियता के चलते रसद संबंधी कई चुनौतियां सामने आई हैं—जैसे कुलियों की कमी, जिससे माल की डिलीवरी में देरी हो रही है. इसके बावजूद, भारत ने यह संकेत दिया है कि वह क्षेत्रीय सहयोग और अफगानिस्तान की आर्थिक बहाली के लिए प्रतिबद्ध है.
पाकिस्तान पर दबाव और अफगानिस्तान का समर्थन
भारत को अफगानिस्तान से व्यापार के लिए पाकिस्तान से होकर गुज़रना पड़ता है, जो अक्सर बाधाएं खड़ी करता रहा है. 2021 में जब भारत ने 50,000 टन गेहूं की मानवीय सहायता भेजने की घोषणा की थी, तब पाकिस्तान ने अस्थायी अनुमति दी थी. हाल ही में काबुल से लौटे प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया है कि वह इस तरह की आपूर्ति में रोड़े न अटकाए.
मुत्ताकी ने जयशंकर को उनकी ईरान और चीन यात्रा से पहले फोन किया और दोनों नेताओं ने संपर्क बनाए रखने की सहमति जताई. भारत ने अफगानिस्तान द्वारा पहलगाम हमले के बाद दिखाई गई संवेदना की सराहना की और पाकिस्तान द्वारा भारत-अफगान रिश्तों में खटास लाने के प्रयासों पर अफगान चुप्पी की भी सराहना की—जिसमें यह झूठा दावा भी शामिल था कि भारत ने अफगानिस्तान पर मिसाइलें दागी हैं.
विकास परियोजनाओं में नई जान
इस साल की शुरुआत में दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी और मुत्ताकी की मुलाकात के बाद से भारत अफगानिस्तान में रुकी हुई विकास परियोजनाओं को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहा है. अब भारत वहां और अधिक विकास सहयोग परियोजनाओं पर भी विचार कर रहा है.
ये भी पढ़ेंः इंटरनेशनल लेवल पर खुलेगी पाकिस्तान की पोल! कहां-कहां जाएगा भारत का डेलिगेशन? जानिए पूरी डिटेल