'चिनाब और किशनगंगा नदी से दूर रहें', सीमा पर तनाव के बीच प्रशासन ने पर्यटकों के लिए जारी की चेतावनी

    जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है, जिसमें उन्हें चिनाब और किशनगंगा नदियों के किनारों से दूर रहने की सख्त हिदायत दी गई है.

    administration issues warning to tourists amid border tension
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है, जिसमें उन्हें चिनाब और किशनगंगा नदियों के किनारों से दूर रहने की सख्त हिदायत दी गई है. यह चेतावनी खासतौर पर उन इलाकों के लिए दी गई है जहां गर्मियों में जल स्तर अचानक बढ़ सकता है.

    हाल ही में क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी घटनाओं और भारत-पाक संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच यह कदम एहतियात के तौर पर उठाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि बगलिहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं में जल प्रवाह को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, जिसके कारण चिनाब नदी का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इसके चलते कुछ लोग नदी को पैदल पार करने की कोशिश कर सकते हैं, जो अत्यंत जोखिम भरा हो सकता है.

    वहीं दूसरी ओर, किशनगंगा नदी और उससे जुड़े जलाशयों में जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी हो सकती है. प्रशासन ने कहा है कि गर्मियों के दौरान ग्लेशियर पिघलने और बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण इन नदियों में तेज बहाव आ सकता है. इस परिदृश्य में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, लोगों से नदियों के किनारे या जलाशयों के पास न जाने की अपील की गई है.

    सायरन से दी जाएगी चेतावनी

    अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जलाशयों से यदि पानी छोड़ा जाएगा, तो पहले चेतावनी सायरन बजाया जाएगा. इसके बावजूद लोगों को स्वयं भी सतर्क रहने और किसी भी आपात स्थिति से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.

    चिनाब नदी के जम्मू स्थित अखनूर क्षेत्र में, जहां वर्तमान में जल स्तर न्यूनतम है, पुलिस ने विशेष रूप से पैदल नदी पार करने से मना किया है. वहीं किशनगंगा परियोजना की संवेदनशीलता को देखते हुए इस क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं.

    भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है अहम

    किशनगंगा परियोजना का रणनीतिक महत्व भी कम नहीं है. यह डैम झेलम और नीलम नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करता है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बहती हैं. झेलम नदी का प्रवाह रुकने से पाकिस्तान की कई जलविद्युत और कृषि योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं. ऐसे में यह परियोजना न केवल भारत के जल संसाधनों की सुरक्षा से जुड़ी है, बल्कि कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम मानी जाती है.

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