79th Independence Day: इस साल 15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार 12वीं बार लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन देंगे. यह भाषण ऐसे समय पर आ रहा है जब हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चर्चा हो रही है और विपक्षी दल चुनावों में कथित गड़बड़ियों को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी अपने संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और कल्याणकारी मॉडल पर देश के अडिग रुख को रेखांकित कर सकते हैं.
साथ ही, वे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति प्रतिकूल रुख और इससे उत्पन्न आर्थिक व विदेशी संबंधों की अनिश्चितता पर भी टिप्पणी कर सकते हैं.
आत्मनिर्भर भारत और विकास की दिशा
पीएम मोदी लंबे समय से 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के तहत स्वदेशी तकनीक और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं. उनके 79वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में यह विचार प्रमुखता से सामने आने की संभावना है.हाल में लगातार दो बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, मोदी ने इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए, लाल किले से लगातार 12 भाषण देने का कीर्तिमान स्थापित किया है. इस मामले में वे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद दूसरे स्थान पर होंगे.
पिछले भाषणों के मुख्य संदेश
पिछले साल अपने 98 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान “सांप्रदायिक” और “भेदभाव” को बढ़ावा देने वाली संहिता के स्थान पर धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की वकालत की थी. साथ ही उन्होंने एक साथ चुनाव कराने की बात भी कही.इसके अलावा, उन्होंने आगामी पांच वर्षों में 75,000 और मेडिकल सीटें सृजित करने, महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कम करने, स्वच्छता और वंचित समुदायों के सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया.
राजनीतिक और विदेश नीति की दिशा
राजनीतिक पर्यवेक्षक इस साल के भाषण में विदेश नीति पर किसी संकेत का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. भारत-अमेरिका के संबंध फिलहाल तनावपूर्ण हैं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने व्यापार और टैरिफ के माध्यम से दबाव बनाने की कोशिश की है. संसद का मानसून सत्र जारी है और विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित है. विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग कर रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री चुनावी आरोपों का जवाब अपने भाषण में देंगे या नहीं.
सुरक्षा और आतंकवाद पर स्पष्ट रुख
प्रधानमंत्री के संबोधन में हमेशा की तरह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ उनके कड़े रुख पर ध्यान जाएगा. इस साल भी यह विषय महत्वपूर्ण बने रहने की संभावना है.पीएम मोदी ने इस बार अपने भाषण के लिए नागरिकों से सुझाव मांगे थे. अब यह देखा जाएगा कि कितने सुझाव भाषण में शामिल किए जाते हैं और जनता के सामने कौन-कौन से नए प्रस्ताव या नीतिगत पहल सामने आती हैं.
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