6000KG Diamond in MP: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा वन क्षेत्र में एक ऐसा खजाना दबा है, जो राज्य की तक़दीर बदलने की क्षमता रखता है. यहां के जंगलों में लगभग 3.42 करोड़ कैरेट (लगभग 6000 किलो) हीरे का भंडार होने का अनुमान है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹60,000 से ₹70,000 करोड़ के बीच है. यह खजाना राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है, लेकिन इसके लिए बक्सवाहा के घने जंगलों की बलि चढ़ानी होगी.
बक्सवाहा में हीरे की खोज की शुरुआत
बक्सवाहा में हीरे की खोज की शुरुआत 2000 से 2005 के बीच ऑस्ट्रेलियाई खनन कंपनी रियोटिंटो द्वारा की गई थी. कंपनी ने यहां की किंबरलाइट चट्टानों में हीरे की मौजूदगी का पता लगाया. किंबरलाइट चट्टानें हीरे के निर्माण का मुख्य स्रोत मानी जाती हैं. रियोटिंटो ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण किया और पाया कि यहां 3.42 करोड़ कैरेट से अधिक हीरे का भंडार हो सकता है.
आदित्य बिड़ला समूह की एसेल माइनिंग को मिली लीज
2019 में, मध्य प्रदेश सरकार ने बक्सवाहा के जंगलों में हीरा खनन के लिए आदित्य बिड़ला समूह की एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 50 साल के लिए लीज पर 364 हेक्टेयर भूमि दी. कंपनी ने इस क्षेत्र में खनन की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई, लेकिन इससे पहले ही पर्यावरणीय चिंताओं के कारण हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.
पर्यावरणीय चिंताएँ और विरोध
बक्सवाहा के जंगलों में लगभग 2.15 लाख पेड़ हैं, जिनमें सागौन, केम, जामुन, बहेड़ा, पीपल, तेंदू, अर्जुन जैसे बहुमूल्य और औषधीय गुणों वाले पेड़ शामिल हैं. इन पेड़ों की कटाई से स्थानीय जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में पानी की भी भारी कमी है, और खनन प्रक्रिया के लिए आवश्यक पानी की आपूर्ति से जल संकट और बढ़ सकता है.
स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों ने इस परियोजना का विरोध किया है, क्योंकि इससे उनकी आजीविका और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस परियोजना को स्थगित किया जाए और पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन किया जाए.
संभावित लाभ और नुकसान
यदि बक्सवाहा के हीरे का खजाना सफलतापूर्वक खनन किया जाता है, तो यह मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है. अनुमान है कि इस परियोजना से राज्य को लगभग ₹23,000 करोड़ की रॉयल्टी प्राप्त हो सकती है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं. हालांकि, इसके साथ ही पर्यावरणीय नुकसान और स्थानीय समुदायों की आजीविका पर प्रभाव भी एक गंभीर चिंता का विषय है. इसलिए, इस परियोजना को शुरू करने से पहले सभी पहलुओं का समग्र मूल्यांकन करना आवश्यक है.
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