इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के एक शांत से गांव में बीते दिन एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया. यहां कुछ मासूम बच्चों ने खेत में एक मोर्टार शेल पाया उन्हें शायद यह नहीं पता था कि यह कोई खतरनाक विस्फोटक है. बच्चों ने इसे खिलौना समझ लिया और अपने घर ले आए. लेकिन खेलते समय अचानक हुए तेज विस्फोट ने हंसते-खेलते माहौल को मातम में बदल दिया.
इस भयानक घटना में पांच बच्चों की मौत हो गई है, जिनमें चार लड़कियां शामिल हैं. वहीं, 13 अन्य लोग घायल हुए हैं, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं. घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है और कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
कैसे हुआ हादसा?
यह हृदयविदारक घटना लक्की मरवत जिले के सोरबंद गांव में हुई. स्थानीय पुलिस अधिकारियों के अनुसार, बच्चों को खेतों में खेलते समय एक पुराना आरपीजी-7 मोर्टार शेल मिला. यह विस्फोटक संभवतः किसी पुराने संघर्ष या सैन्य गतिविधि का अवशेष था. मासूम बच्चे इस खतरनाक वस्तु की पहचान नहीं कर सके और उसे एक दिलचस्प खिलौने की तरह समझते हुए अपने घर ले आए.
गांव पहुंचने के बाद वे इसी शेल के साथ घर के भीतर खेलने लगे. तभी अचानक शेल में विस्फोट हो गया. धमाका इतना जबरदस्त था कि घर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और मौके पर ही कई बच्चों की जान चली गई.
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
बन्नू क्षेत्र के पुलिस प्रवक्ता आमिर खान ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में घटना की पुष्टि की और बताया कि हादसे के शिकार सभी बच्चे और महिलाएं एक ही परिवार से संबंधित हैं.
उन्होंने बताया कि जैसे ही धमाके की सूचना मिली, पुलिस, राहत दल और बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंचा. घायलों को खलीफा गुल नवाज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है.
इस मामले में विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस का मानना है कि यह विस्फोटक या तो किसी पुराने सुरक्षा ऑपरेशन का हिस्सा था या फिर उग्रवादी तत्वों द्वारा छोड़ा गया विस्फोटक हो सकता है. हालांकि, इसकी सटीक जानकारी जांच के बाद ही सामने आएगी.
आरपीओ ने दौरा कर घायलों से की मुलाकात
बन्नू के रीजनल पुलिस ऑफिसर (RPO) सज्जाद खान ने अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की और घटना पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने मीडिया से कहा, "यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता के अभाव का परिणाम है. हम पूरी जांच करेंगे और देखेंगे कि आखिर इस मोर्टार शेल की मौजूदगी का कारण क्या था."
पिछली घटनाओं की पुनरावृत्ति
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी या दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में बचे हुए विस्फोटकों के कारण इस तरह की त्रासदी हुई हो. बलूचिस्तान, Waziristan, और KPK जैसे क्षेत्रों में अक्सर सेना और उग्रवादियों के बीच झड़पें होती रही हैं, और इनके बाद विस्फोटकों और गोला-बारूद के अवशेष खेतों और गांवों के आसपास बिखरे रह जाते हैं.
अक्टूबर 2023 में बलूचिस्तान के जारचैन इलाके में एक हथगोला फटने से एक बच्चा मारा गया था और 8 घायल हो गए थे.
इससे पहले भी दक्षिण वजीरिस्तान, ओरकज़ई, और बाजौर जैसी एजेंसियों में ऐसे कई हादसे सामने आ चुके हैं.
इन घटनाओं की समानता यही दिखाती है कि स्थानीय समुदायों में विस्फोटकों को लेकर जागरूकता की भारी कमी है.
विशेषज्ञों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता
मानवाधिकार संगठनों और सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के कई अति-संवेदनशील क्षेत्र आज भी उन युद्धों और सैन्य अभियानों के "मूक गवाह" बने हुए हैं, जिनके समाप्त हो जाने के बावजूद उनके निशान अब भी लोगों की जान ले रहे हैं.
कुछ संगठनों ने मांग की है कि:
सरकार और सेना स्थानीय स्तर पर रिपोर्टिंग सिस्टम तैयार करें, जिससे अगर कोई विस्फोटक सामग्री देखी जाए, तो लोग बिना डरे सूचना दे सकें
मासूमों की कीमत पर लापरवाही नहीं चलेगी
जिस तरह से ये हादसा हुआ, उसने यह साफ कर दिया है कि केवल सैन्य जीत या शांति बहाली पर्याप्त नहीं है. जब तक उन क्षेत्रों को विस्फोटक अवशेषों से पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं बनाया जाता, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी.
इस हादसे ने पाकिस्तान में सुरक्षा तंत्र, प्रशासनिक जवाबदेही और आमजन की जागरूकता तीनों को लेकर गहरे सवाल खड़े किए हैं.
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