UP News: अब उत्तर प्रदेश के शहरी परिषदीय स्कूलों में बच्चे सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे. उनके पास अब स्मार्ट बोर्ड, डिजिटल कंटेंट और हाई-स्पीड इंटरनेट से युक्त कक्षाएं होंगी, जो न सिर्फ उनकी पढ़ाई को रोचक बनाएंगी, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए भी तैयार करेंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच के तहत प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया है.
नगर विकास विभाग ने 324.56 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश भर में 2,700 स्मार्ट क्लासरूम्स स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसमें से 1,780 कक्षाएं पहले ही तैयार होकर सुचारु रूप से संचालित हो रही हैं. इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य है – शहरी क्षेत्रों में निम्न आय वर्ग के छात्रों को डिजिटल और आधुनिक शिक्षा से जोड़ना.
अब पढ़ाई बनेगी स्मार्ट
स्मार्ट क्लासरूम्स में छात्रों को मिलेगा एक ऐसा वातावरण, जो उन्हें पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़ाकर इंटरएक्टिव और विजुअल लर्निंग की दुनिया से जोड़ेगा. इन कक्षाओं में इंटरएक्टिव डिजिटल बोर्ड, मल्टीमीडिया लर्निंग टूल्स, और तेज़ इंटरनेट जैसी सुविधाएं हैं, जिनकी मदद से शिक्षक बच्चों को उदाहरणों, वीडियो और एनिमेशन के ज़रिए जटिल विषय भी सरलता से समझा सकेंगे.
नामांकन और उपस्थिति में ज़बरदस्त वृद्धि
इस पहल का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है. नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात के अनुसार, शहरी परिषदीय स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति और नामांकन में आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई है. आंकड़ों के मुताबिक, इन स्कूलों में नामांकन दर 59.6 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जो कि राष्ट्रीय औसत से 15 प्रतिशत अधिक है. यह दर्शाता है कि स्मार्ट क्लासरूम्स बच्चों और अभिभावकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं.
अब तक 65% कक्षाएं हो चुकी हैं सक्रिय
2022 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक स्वीकृत स्मार्ट क्लासरूम्स में से 65 प्रतिशत पूरी तरह क्रियाशील हैं. इन प्रयासों ने शिक्षा को उन बच्चों तक पहुँचाया है जो पहले तकनीक से अछूते थे. अब ये बच्चे डिजिटल दुनिया का हिस्सा बनकर न केवल पढ़ाई में आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी सशक्त हो रहे हैं.
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