इस्लामाबाद/स्वात (पाकिस्तान): पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शुक्रवार को आई अचानक बाढ़ ने 17 लोगों की जान ले ली, जिनमें 9 लोग एक ही परिवार के सदस्य थे. यह दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ जब एक परिवार स्वात नदी के किनारे सैर-सपाटा कर रहा था.
जैसे ही तेज बाढ़ का पानी नदी में आया, लोग संभल नहीं पाए और बहाव में बह गए. इस त्रासदी के बाद, एक और विवाद ने दुख को और गहरा कर दिया — मृतकों के शवों को कचरा ढोने वाली गाड़ी में ले जाया गया, जिस पर अब राष्ट्रीय स्तर पर नाराजगी जताई जा रही है.
पारिवारिक पिकनिक का दुखद अंत
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, शुक्रवार को एक ही परिवार के 17 लोग पिकनिक के लिए स्वात नदी के किनारे पहुंचे थे. अचानक पानी का स्तर बढ़ने लगा और कुछ ही पलों में नदी का तेज बहाव उन्हें अपने चपेट में ले गया.
करीब 45 मिनट तक कई लोग बीच नदी में फंसे रहे. कुछ को बाहर निकालने की कोशिशें हुईं, लेकिन बहाव इतना तेज था कि 17 में से 9 की जान चली गई. चार लोगों को बचा लिया गया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है.
अब तक 58 लोगों को निकाला गया
प्रांतीय आपातकालीन सेवा के प्रवक्ता शाह फहद के अनुसार, रेस्क्यू टीमों ने अब तक 58 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है. नदी के पांच अलग-अलग बिंदुओं पर बचाव अभियान जारी है, जिसमें 80 से अधिक कर्मी तैनात हैं.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घटना पर शोक जताया है और नदियों व अन्य जलमार्गों के आसपास सुरक्षा उपायों को और सख्त करने के निर्देश दिए हैं.
शवों को कचरा गाड़ी में ले जाने पर आलोचना
घटना के बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें मृतकों के शवों को कचरा ढोने वाले वाहन में ले जाते देखा गया. यह दृश्य पूरे देश में बहस का कारण बन गया.
पंजाब की सूचना मंत्री आजमा बुखारी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, "अगर आप उन्हें बचा नहीं सके, तो कम से कम अंतिम यात्रा में उन्हें सम्मान देते. शवों को कचरा गाड़ी में ले जाना अमानवीय है."
सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर व्यापक नाराजगी देखी जा रही है, जहां आम नागरिकों ने प्रशासन से सवाल पूछा कि आखिर ऐसे संवेदनशील मौकों पर मानवीय गरिमा का ख्याल क्यों नहीं रखा गया.
24 घंटों में बारिश से 10 मौतें
देश के अन्य हिस्सों में भी बारिश तबाही लेकर आई. पूर्वी पंजाब और दक्षिणी सिंध प्रांत में बीते 24 घंटों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है.
निगाहें अब आपदा प्रबंधन पर
यह घटना पाकिस्तान की आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है. हर साल मॉनसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं, लेकिन त्वरित चेतावनी प्रणाली, पर्यटकों के लिए दिशा-निर्देश और आपातकालीन प्रबंधन अब भी कमजोर कड़ियां बनी हुई हैं.
देश में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते ऐसी घटनाओं की आशंका और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय सरकार के लिए यह एक चेतावनी है कि न केवल जीवन की रक्षा हो, बल्कि सम्मानजनक तरीके से लोगों की अंतिम यात्रा भी सुनिश्चित की जाए.
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