NaMo: ARCHITECT OF A CHANGING WORLD ORDER, पीएम मोदी की रुस यात्रा का संपूर्ण विश्लेषण, 'The JC Show'

    इस बार The JC Show प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की रुस यात्रा को लेकर है. इस बार इस शो का नाम है- NaMo : ARCHITECT OF A CHANGING WORLD ORDER. आइए जानते हैं इस शो में Man of Prediction कहे जाने वाले डॉ. जगदीश चंद्र का विश्लेषण.

    NaMo ARCHITECT OF A CHANGING WORLD ORDER Complete analysis of PM Modis Russia visit The JC Show
    The JC Show/Bharat 24

    नई दिल्ली : भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की रुस यात्रा को लेकर है. इस बार इस शो का नाम है- NaMo : ARCHITECT OF A CHANGING WORLD ORDER. आइए जानते हैं इस शो में Man of Prediction कहे जाने वाले डॉ. जगदीश चंद्र का विश्लेषण.

    गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर तक रुस के कज़ान में दो दिवसीय यात्रा पर गए थे.

    सवाल- आज की हमारी शो की हेडलाइन है ARCHITECT OF A CHANGING WORLD ORDER इसके मायने क्या हैं?

    इस सवाल के जवाब में डॉ जगदीश चंद्र ने कहा, "ये फोटो देखिए, नरेंद्र मोदी, शी, पुतिन यह तस्वीर सचमुच चौकाने वाली है, आग लगाने वाली है, एक नई दुनिया की ओर इशारा करने वाली है, एक नई पॉलिटिक्स की ओर इशारा करने वाली है, एक नई डिप्लोमेसी को संसार में लाने वाली है. इसीलिए कहा जा रहा है कि यह जो घटना हुई है, इससे भारत एक स्ट्रेटेजिक पोजीशन में आ गया है. इन राष्ट्रों के बीच में कुछ लोगों ने यह कहा वहां पर कि आज की जो यह जो नई है नया वर्ल्ड ऑर्डर है इसमें नरेंद्र मोदी ताजी हवा का झोंका हैं. सो नाउ अंडर लीडरशिप वी फील ए प्राउड नेशन, ए प्राउड कंट्री."

    सवाल- इस नए वर्ल्ड ऑर्डर से आखिर वेस्ट क्यों परेशान है?

    इस सवाल के जवाब में डॉ चंद्र ने कहा, "ऑफ कोर्स अमेरिका की दादागिरी नहीं चलेगी. आप देखिए कंट्रोल कम होगा डोमिनेंस कम होगी और अमेरिकन फॉरेन पॉलिसी के हमेशा से दो टारगेट हैं, एक तो रशिया को कमजोर करना और चीन के विस्तार वाद को रोकना. एंड इंडिया इज अ बैलेंसिंग फैक्टर. अब भारत जब एक तरह से वहां खड़ा हो जाता है और वास्तव में एक गठबंधन शक्ल लेता है, तो अमेरिका की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. व्यापार की दृष्टि से आप देखा जाए तो इन दोनों देशों का टोटल जीडीपी 15 ट्रिलियन डॉलर है और अमेरिका का देखा जाए तो 27 ट्रिलियन डॉलर है, दोनों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. तो अमेरिका की चिंता बिल्कुल स्वाभाविक है कि कहीं तीनों राष्ट्र इकट्ठा मिलकर के ऐसी पोजीशन नहीं बना ले कि अमेरिका स्ट्रेटजिकली वीक हो जाए. इंटरनेशनल डिप्लोमेसी के अंदर अमेरिका कहीं वीक नहीं हो जाए ये चिंता अमेरिका के चेहरे पे है. अमेरिका के साथ-साथ जो वेस्टर्न वर्ल्ड है फ्रांस है, जर्मनी है, कनाडा है और ये जो देश हैं वहां पे उनके माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं और उनकी चिंता स्वाभाविक है."

    सवाल- क्या ये सच है कि इस नए वर्ल्ड ऑर्डर में प्रधानमंत्री मोदी मल्टी अलाइन हो चुके हैं और अब प्रधानमंत्री मोदी की या फिर कह सकते हैं भारत की सबको जरूरत है?

    भारत 24 के सीईओ डॉ चंद्र ने कहा, "यह विचित्र किंतु सत्य है, आप किसी गुट में नहीं हैं, किसी सैन्य गुट में भी नहीं हैं, किसी अलायंस में नहीं हैं लेकिन हैं भी. अपनी जरूरत के हिसाब से आप एलाइन हो जाते हैं और अपनी जरूरत नहीं के हिसाब से आप मल्टी एलाइन भी हो जाते हैं. इस कांट्रडिक्शन को केवल नरेंद्र मोदी मैनेज कर सकते हैं और वो मैनेज कर रहे हैं. क्योंकि उनकी बेसिक फॉरेन पॉलिसी है 'इंडिया फर्स्ट', राष्ट्र हित सर्वोपरि."

    सवाल- क्या आप इस आकलन से सहमत हैं कि ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन के तीन हीरो हैं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के जिनपिंग?

    डॉ चंद्र ने कहा, "अब एक्चुअल देखा जाए तो असली हीरो नरेंद्र मोदी हैं. वहां आकर्षण का केंद्र नरेंद्र मोदी थे. हर कोई उनसे मिलना चाहता था. जिनपिंग से मिलने वालों की संख्या बहुत कम थी, पुतिन से मिलने वालों में कोई आकर्षण नहीं था. नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में ऐसा फ्रेम बन गया है कि हर कोई नरेंद्र मोदी से मिलना चाहता है. ही वाज वन ऑफ द मोस्ट पॉपुलर फेस एंड स्ट्रेटेजिक फेस एट रशिया, जहां पे ब्रिक्स हुआ. तो हम कह सकते हैं कि रियल हीरो वाज नरेंद्र मोदी स्ट्रेटेजिक हीरो नरेंद्र मोदी."

    सवाल- जब बैठक चल रही थी और पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारे रिश्ते ऐसे हैं कि हमें किसी ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं है आखिर क्या कहना चाहते थे पुतिन?

    डॉ चंद्र ने कहा, "दिस शोज ट्रस्ट एंड कॉन्फिडेंस इन मोदी, ए फ्रेंड, ए लीडर. भरोसा है विश्वास का और यह कंफर्ट लेवल को इंडिकेट करता है. उनका कहना कि हमारे रिश्तों को अनुवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है, मोदी ने सुना तो वो भी खिलखिला के हंसे. अक्सर जो साथ जाते हैं, विदेश मंत्री जो गए थे साथ, वो सब प्रभावित होते हैं कि व्हाट ए रिलेशनशिप, व्हाट काइंड ऑफ कम्युनिकेशन, तो यह उसी का एक प्रतीक है.

    सवाल- भारत और चीन के बीच जो समझौता हुआ वो निश्चित तौर पर एक मील का पत्थर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से प्रमाणित कर दिया है कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं बल्कि डायलॉग और डिप्लोमेसी के जरिए भी हो सकता है आप उसे कैसे देखते हैं?

    भारत 24 के सीईओ डॉ चंद्र ने कहा, "बिल्कुल सही, इतने सालों में पहली बार मैं देख रहा हूं कि प्रधानमंत्री या कोई लीडर ग्लोबल लीडर, जो लोग भाषण देते हैं उन्होंने अपने भाषण को रियलिटी में कन्वर्ट कर दिया है. यह भाषण का विषय था कि हमें युद्ध नहीं करना चाहिए, शांति करना चाहिए, अहिंसा में रहना चाहिए, गांधीवादी रहना चाहिए, बुद्ध का देश है, ये सब बातें थी, नरेंद्र मोदी ने फर्स्ट टाइम उसको एक्शन में कन्वर्ट किया. सबसे पहले तो चाइना केस आपके सामने है, अगर चाइना से लड़ लेते उस समय हैं तो क्या होता? चलो कुछ आप उनको ठोक देते, कुछ वो आपको ठोक देते, कम से कम 2 साल के लिए आपका 2047 का एजेंडा है डीरेल हो जाता, आपकी सारी इकॉनमी डीरेल हो जाती."

    सवाल- क्या भारत से रिश्ते सुधारना चीन की भी मजबूरी है?

    डॉ चंद्र ने कहा, "ऑफ कोर्स है. एक तो सबसे बड़ा व्यापार है. चीन बाजार खोज रहा है, भारत का बाजार मेड इन इंडिया के कारण कम हो रहा है. यहां का मार्केट बहुत बड़ा 140 करोड़ लोगों का है. जो इंपोर्ट है चाइना से वो पहले को 67 मिलियन डॉलर था और अब जाकर 136 मिलियन डॉलर हो गया हैं तना प्रॉफिट है. एक तो आर्थिक कारण है और दूसरा वो 50-60 हजार सेना सीमा से हटाकर साउथ चाइना सी में करना चाहते हैं."

    सवाल- ये ब्रिक्स भारत के लिए क्या मायने रखता है?

    डॉ चंद्र का जवाब- "भारत इसका एक एक महत्त्वपूर्ण मेंबर है. ब्रिक्स का जो टोटल गेम प्लान है उसमें इंडिया सेंटर स्टेज पर है. जब इंडिया इस सेंटर स्टेज पर आ गया है, ब्रिक्स में वन ऑ द सीनियर मेंबर है, वन ऑ द सीनियर लीडर है, और इतने बड़े देशों की फौज साथ है. नरेंद्र मोदी जाते हैं तो अपनी ग्लोबल लीडरशिप को और इंडिया के ब्रांड को मजबूत करने का मौका मिलता है. म्यूचुअल इंटरेस्ट के समझौते करने का मौका मिलता है. तो जब सात लोग मिलते हैं म्यूचुअल इंटरेस्ट की बात करते हैं, हर किसी को कोई ना कोई फायदा होता है."

    सवाल- क्या आप ऐसा सोचते हैं कि ब्रिक्स आगे चलकर G7 को टक्कर देगा?

    डॉ चंद्र का जवाब- "कोशिश हो सकती है. G7 के बारे में बोलते हैं कि ये एक बिमार इंस्टीट्यूशन है. 2027 तक ये G7 को टक्कर दे देंगे. ब्रिक्स की अपन बात करते हैं तो 45% पर पॉपुलेशन पर और 28% इकॉनमी पर कब्जा है. आने वाला कल ब्रिक्स का कल है. G7 थोड़ा ढलता हुआ है, अब देखना ये है कि किस स्पीड से ब्रिक्स है उसको रिप्लेस कर देता है."

    सवाल- पीएम मोदी के निमंत्रण पर क्या निकट भविष्य में पुतिन के भारत आने की संभावना है?

    डॉ चंद्र का जवाब- "आ सकते हैं, जिस दिन मोदी डोभाल को भेज देंगे वो आ जाएंगे, उनकी बड़ी मित्रता है. उनके साथ में पिछली बार जब वो गए थे वहां तो उन्होंने डोभाल साहब से कहा था कि उनको भेजो हमारे मित्र को 22 तारीख को. उन्होंने उनकी बात मानी वरना विदेश मंत्री को भेज सकते थे, लेकिन वो खुद गए वहां पर एक दूसरे की बात रखे. जिस दिन नरेंद्र मोदी बुलाएंगे वह दौड़े-दौड़े चले आएंगे."

    सवाल- रूसी सेना में शेष रहे भारतीय नागरिकों की रिहाई का काम कब तक पूरा होगा?

    डॉ चंद्र का जवाब- "हो जाएगा, पहले शायद 85 लोग थे, अब 20 लोग रह गए हैं. प्रोसीजरल बातें पूरी हो रही हैं, इंटेंशन क्लियर है कि इनको छोड़ना है.  नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में एवरी इंडियन इज सेफ,. पहले भी कई बार ऐसा हुआ तो मोदी जी उनको लौटा के लाते हैं."

    सवाल- क्या ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच भारतीय फिल्म जगत के बारे में भी चर्चा हुई?

    भारत 24 के सीईओ डॉ चंद्र ने कहा, "हां हुई, भारत रूस का फिल्म का तो पुराना किस्सा है, राज कपूर की फिल्मों का गाना था 'सर पे लाल टोपी रूसी' ये तब से चली आ रही है परंपरा है. पुतिन इंप्रेस है, उन्होंने एजेंडा में लिख रखा था कि इंडियन प्राइम मिनिस्टर आएंगे तो मैं बॉलीवुड के बारे में बात करूंगा. वहां पे इंडियन फिल्में इतनी लोकप्रिय है कि पुतिन ने कहा कि एक चैनल अलग चलता है, वहां पे हर समय भारतीय गाने और भारत के पुरानी फिल्में चलते हैं. प्राइम मिनिस्टर ने कहा होगा कि आप इंडिया में इन्वेस्ट करिए तो उन्होंने कहा होगा कि आप रुस में करिए. एक अच्छा सेक्टर है फिल्म, इसको सांस्कृतिक रूप से निकट लाएंगे और थोड़ा इन्वेस्टमेंट भी आ जाएगा."

    सवाल- भारत कनाडा के बीच बिगड़ते रिश्तों का आर्थिक पहलू क्या है और दोनों में से कौन से देश ज्यादा घाटे में रहेगा?

    डॉ चंद्र का जवाब- "घाटा तो देखो वैसे तो बराबर सा है, लेकिन कनाडा को थोड़ा ज्यादा हो सकता है. 600 कंपनिया ऐसी है कनाडा की जो भारत में काम कर रही हैं, अभी तो उन पर असर नहीं आया क्योंकि मामला अभी नया नया है लेकिन बात आगे बढ़ी है और टेंशन रही तो उन पर फर्क पड़ेगा. ट्रेड का बैलेंस इंडिया के फेवर में है. अगर यह बात आगे बढ़ेगी तो इसमें छात्रों का नुकसान होगा. एक तो वीजा का प्रॉब्लम है दूसरा स्कॉलरशिप का प्रॉब्लम है."

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