लंबे समय से महिला को धोखा देकर बना रहा था संबंध, कोर्ट ने क्यों कहा- ये रेप नहीं; आरोपी की सजा भी खारिज

    मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें एक आदमी को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए रेप के मामले में बरी कर दिया गया.

    Madras High Court verdict on rape case
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    चेन्नईः मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें एक आदमी को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए रेप के मामले में बरी कर दिया गया. हाई कोर्ट का यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि दो वयस्कों के बीच लंबे समय तक चला सहमति वाला यौन संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है. कोर्ट ने यह कहा कि अगर दोनों के बीच लंबा और आपसी संबंध रहा हो तो किसी व्यक्ति को शादी के झूठे वादे के आधार पर रेप का दोषी ठहराना अन्यायपूर्ण होगा.

    सजा को खारिज कर दिया

    न्यायमूर्ति सुंदर मोहन, जो इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, ने यह टिप्पणियां करते हुए 26 वर्षीय व्यक्ति की सजा को खारिज कर दिया, जिसे महिला कोर्ट, विलुप्पुरम ने 2022 में दोषी ठहराया था. कोर्ट ने पाया कि सबूत केवल एक लंबा, सहमति वाला संबंध दिखाते हैं जो बाद में बिगड़ गया था, और भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 और 417 के तहत बलात्कार और धोखाधड़ी के अपराधों का प्रमाण नहीं है.

    आरोपी और महिला के बीच एक करीबी संबंध

    न्यायमूर्ति मोहन ने आगे कहा कि महिला, जो उस समय 24 साल की थी, संभवतः पूरी तरह से इस स्थिति से अवगत थी. उन्होंने यह भी कहा कि यह मानना कि उसकी सहमति केवल शादी के झूठे वादे पर आधारित थी, यह गलत होगा. कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि महिला को अपनी निर्णय लेने में नासमझ या मूर्ख नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत 25 महीने बाद की गई थी, जिसे कोर्ट ने महत्वपूर्ण माना.

    कोर्ट ने यह भी कहा कि अन्य गवाहों के बयान केवल यह बताते हैं कि आरोपी और महिला के बीच एक करीबी संबंध था, लेकिन उन्होंने झूठे वादे या सहमति की कमी को साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया. इन सभी टिप्पणियों के बाद, हाई कोर्ट ने विलुप्पुरम महिला कोर्ट द्वारा 9 दिसंबर 2022 को दी गई सजा को रद्द कर दिया.

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