वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि नया छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान 'नेक्स्ट जनरेशन एयर डोमिनेंस' (NGAD) प्रोग्राम का हिस्सा होगा. इसे F-22 रैप्टर का उत्तराधिकारी माना जा रहा है और इसमें स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, एडवांस सेंसर, और सुपरक्रूज़ जैसी क्षमताएं होंगी.
नामकरण और विशेषताएं
चीनी J-36: रहस्यमय और खतरनाक
दूसरी ओर, चीन ने भी J-36 नामक अपने छठी पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम तेज कर दिया है. चीन का दावा है कि यह विमान अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक, एडवांस रडार और हाई-स्पीड क्षमताओं से लैस होगा.
तकनीकी विशेषताएं
हालांकि, चीन की ओर से J-36 को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों को अभी इसकी वास्तविक क्षमताओं पर संदेह है. इसकी पहली उड़ान की पुष्टि दिसंबर 2024 में की गई थी, जब इसे J-20 फाइटर जेट के साथ देखा गया था.
F-47 बनाम J-36: कौन रहेगा आगे?
स्टेल्थ टेक्नोलॉजी:
F-47: उन्नत स्टेल्थ कोटिंग और डिज़ाइन, जो रडार से बचने में सक्षम है.
J-36: स्टेल्थ विशेषताओं का दावा किया गया है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
इंजन और गति:
F-47: सुपरक्रूज़ और हाईपरसोनिक गति की संभावना.
J-36: तीन इंजन वाला डिज़ाइन, जो ऊंची उड़ान के लिए अनुकूलित हो सकता है.
हथियार प्रणाली:
F-47: ड्रोन-असिस्टेड ऑपरेशन और एडवांस वेपन सिस्टम.
J-36: PL-17 एयर-टू-एयर मिसाइल और अन्य अज्ञात हथियार प्रणालियां.
विकास और तैनाती:
F-47: कई वर्षों से गुप्त परीक्षण में, जल्द ही अमेरिकी वायुसेना में शामिल होगा.
J-36: अभी भी विकास चरण में, वास्तविक तैनाती में समय लग सकता है.
अमेरिका और चीन के बीच छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स की यह प्रतिस्पर्धा आने वाले वर्षों में वैश्विक सैन्य शक्ति संतुलन को नया रूप दे सकती है. F-47 जहां परीक्षण और तकनीकी श्रेष्ठता के मामले में आगे दिखता है, वहीं J-36 अभी तक रहस्य में घिरा हुआ है.
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