हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बना रहा है चीन! ड्रोन और सुपरकैरियर से कई देशों की बढ़ी चिंताएं

चीन अपनी सैन्य शक्ति को लगातार विस्तार दे रहा है और अब उसकी नजरें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने पर टिकी हैं. अपनी नौसेना को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए चीन बड़े स्तर पर नए सैन्य संसाधनों में निवेश कर रहा है. हाल ही में चीन ने अत्याधुनिक WZ-9 ड्रोन की तैनाती की है, जो निगरानी और टोही अभियानों के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

China is increasing its dominance in the Indo-Pacific region Concerns of many countries increased due to drones and supercarriers
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

बीजिंग: चीन अपनी सैन्य शक्ति को लगातार विस्तार दे रहा है और अब उसकी नजरें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने पर टिकी हैं. अपनी नौसेना को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए चीन बड़े स्तर पर नए सैन्य संसाधनों में निवेश कर रहा है. हाल ही में चीन ने अत्याधुनिक WZ-9 ड्रोन की तैनाती की है, जो निगरानी और टोही अभियानों के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके अलावा, बीजिंग एक परमाणु ऊर्जा से संचालित सुपरकैरियर के निर्माण पर भी काम कर रहा है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं.

चीन की बढ़ती समुद्री ताकत

अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपनी नौसेना को ऐसी शक्ति में बदलने की कोशिश कर रहा है, जो उसकी सीमाओं से कहीं आगे तक प्रभाव डाल सके. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी बढ़ती गतिविधियां और सैन्य शक्ति का यह विस्तार अमेरिका समेत जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के लिए चुनौती बन सकता है.

WZ-9 ड्रोन की तैनाती चीन की एयर फोर्स को खुफिया जानकारी जुटाने और स्टील्थ फाइटर्स की पहचान करने की नई क्षमताएं देगी. यह ड्रोन अपने हाई-टेक सेंसरों से लैस है, जो इसे अधिक ऊंचाई पर उड़ने और दुश्मन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने में सक्षम बनाते हैं. इस नई तकनीक के जरिए चीन, अमेरिका के साथ अपने तकनीकी अंतर को भी पाटने की कोशिश कर रहा है.

परमाणु सुपरकैरियर से बढ़ेगी समुद्री ताकत

चीन केवल ड्रोन तकनीक पर ही ध्यान नहीं दे रहा है, बल्कि अपनी नौसेना को दुनिया की सबसे ताकतवर फोर्स बनाने के लिए भी बड़ा निवेश कर रहा है. यूएस नेवल इंस्टीट्यूट (USNI) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब एक परमाणु-संचालित सुपरकैरियर "टाइप 004" पर काम कर रहा है, जो नौसेना की क्षमताओं को पूरी तरह से बदल सकता है. यह सुपरकैरियर चीन के पहले के विमानवाहक पोतों से कई गुना अधिक उन्नत होगा और अमेरिका के गेराल्ड आर फोर्ड-क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर के बराबर खड़ा हो सकता है.

कैसा होगा चीन का नया सुपरकैरियर?

चीन का टाइप 004 सुपरकैरियर कई अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा:

परमाणु ऊर्जा से संचालित – लंबे अभियानों को बिना रुके अंजाम देने की क्षमता.
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट सिस्टम – भारी लड़ाकू विमानों और ड्रोन को तेजी से लॉन्च करने की तकनीक.
बेहतर स्टील्थ और डिटेक्शन क्षमताएं – उन्नत रडार और सेंसर सिस्टम से लैस.

यह सुपरकैरियर चीन को वैश्विक स्तर पर एक समुद्री महाशक्ति बनाने में मदद करेगा, जिससे वह लंबे अभियानों को अंजाम दे सकेगा और अमेरिका के समुद्री वर्चस्व को चुनौती दे पाएगा.

हिंद-प्रशांत में शक्ति संतुलन बदलने की तैयारी

चीन की इन नई सैन्य गतिविधियों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक संतुलन बदल सकता है. अमेरिका अब तक इस क्षेत्र में प्रमुख सैन्य ताकत के रूप में मौजूद रहा है, लेकिन चीन की ये नई सैन्य रणनीतियां वाशिंगटन और उसके सहयोगियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती हैं.

अब यह देखना होगा कि अमेरिका और अन्य देशों की प्रतिक्रिया क्या होती है और क्या वे चीन के इस विस्तारवादी सैन्य कार्यक्रम के जवाब में अपनी रणनीतियां बदलते हैं या नहीं.

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