नई दिल्ली, नेशनल डेस्क: क्या गेहूं और चावल से बने फूड आइटम्स का सेवन करना लोगों के लिए खतरनाक हो गया है? क्या इससे लोगों का स्वास्थ्य तक प्रभावित हो रहा है? इस सवाल का जवाब आपको परेशान जरूर कर सकता है, लेकिन इसका जवाब 'हां' ही है. एक ताजा अध्ययन में चावल और गेहूं की हाई उपज वाली किस्मों के बारे में चौंकाने और डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के शोध में सामने आया है कि गेहूं और चावल (धान) की हाई उपज वाली किस्में न केवल अपनी पोषण गुणवत्ता यानी मूल्य खो रही हैं, बल्कि हानिकारक विषाक्त पदार्थों को भी जमा कर रही हैं. इससे मनुष्य तमाम तरह की बीमारियों की गिरफ्तार में आता जा रहा है. डाउन टू अर्थ के इस रिसर्च से मनुष्य पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की ओर से इशारा करता है.
गेहूं और चावल में जिंक और आयरन की कमी
रिसर्च बताती है कि जो चावल और गेहूं भारतीय इस्तेमाल यानी सेवन कर रहे हैं उनका पोषण लगातार कम होता जा रहा है. बता दें कि पिछले करीब 50 वर्षों के दौरान भारत देश ने फूड सुरक्षा बढ़ाने के मकसद से बड़ी ही तेजी से हाई उपज देने वाली धान (चावल) और गेहूं की किस्मों को प्रस्तुत किया. इस बीच एक शोध में सामने आया है कि गेहूं और धान (चावल) में जिंक और आयरन की कमी आई है. इससे इन फसलों का आहार महत्व भी कम हो गया है.
गेहूं और चावल से बढ़ने लगे रोग
ICAR की रिसर्च में दावा किया गया है कि चालव में आर्सेनिक सांद्रता में ब्रीडिंग प्रोग्राम के चलते 1493 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो चिंताजनक है. इन पौधों ने विषाक्त पदार्थों के खिलाफ अपने प्राकृतिक विकासवादी रक्षा तंत्र को भी खो दिया है. यह जरूरी मुख्य फूड आइटम के सेवन से जुड़े संभावित स्वास्थ्य संबंधी खतरों को और बढ़ा देता है.