पंजाब में 10वीं की परीक्षा में पंजाबी भाषा का पेपर नहीं— सियासत गर्म, CBSE पर AAP और अकाली दल हमलावर

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि CBSE के नए परीक्षा पैटर्न में पंजाबी भाषा को हटाना पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को कमजोर करने की साजिश है.

पंजाब में 10वीं की परीक्षा में पंजाबी भाषा का पेपर नहीं— सियासत गर्म, CBSE पर AAP और अकाली दल हमलावर
पंजाब के मंत्री हरजोत सिंह बैंस मीडिया से बात करने के दौरान | Photo- ANI

चंडीगढ़ : पंजाब में 10वीं की परीक्षा में पंजाबी भाषा का पेपर न होने से सियासत गरमा गई है.  आम आदमी पार्टी (AAP) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने इसको लेकर सीबीएसई के खिलाफ हमलावर हो गई हैं. पंजाब के मंत्री हरजोत सिंह बैंस का आरोप है कि सीबीएसई ने जानबूझकर पंजाबी भाषा को परीक्षा पटर्न से बाहर किया है, जो कि पंजाब की संस्कृति और भाषा पर सीधा हमला किया गया है. 

शिक्षा मंत्री ने जताई आपत्ति

हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि CBSE के नए परीक्षा पैटर्न में पंजाबी भाषा को हटाना पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को कमजोर करने की साजिश है. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने की बात कही है और जरूरत पड़ने पर दिल्ली जाकर मुलाकात करने की भी तैयारी में हैं.

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उन्होंने तीन बड़े सवाल उठाए:

पंजाबी को परीक्षा से क्यों हटाया गया? – CBSE के नए नियमों के मुताबिक, परीक्षा में एक क्षेत्रीय और एक विदेशी भाषा होनी चाहिए, लेकिन पंजाबी को मेंशन तक नहीं किया गया.

मातृभाषा से बच्चों का जुड़ाव जरूरी है – चाइल्ड साइकोलॉजी के अनुसार, बच्चे अपनी मातृभाषा में बेहतर सीखते हैं, लेकिन CBSE का यह कदम बच्चों के दिमागी विकास के खिलाफ है.

फैसला वापस लेने की मांग – उन्होंने CBSE और केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मांग की कि पंजाबी को दोबारा परीक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए और इसे मुख्य भाषा के रूप में बहाल किया जाए.

अकाली दल ने भी किया विरोध

शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि पंजाबी सिर्फ पंजाब की नहीं, बल्कि कई राज्यों और देशों में बोली जाने वाली भाषा है. इसे परीक्षा प्रणाली से हटाना सरासर अन्याय है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर CBSE इस फैसले को वापस नहीं लेता तो अकाली दल इसका पुरजोर विरोध करेगा.

CBSE ने दी सफाई

विवाद बढ़ता देख CBSE ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि मसौदा तिथि पत्र में पंजाबी सहित कुछ अन्य भाषाओं का जिक्र सांकेतिक रूप से नहीं किया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें हटा दिया गया है. CBSE ने भरोसा दिलाया कि सभी क्षेत्रीय और विदेशी भाषाएं, जिनमें पंजाबी भी शामिल है, 2025-26 की परीक्षा प्रणाली में बरकरार रहेंगी.

हालांकि, विपक्षी दल CBSE की इस सफाई से संतुष्ट नहीं हैं और वे इसे पंजाब की भाषा और संस्कृति पर हमला मानते हुए विरोध जारी रखने की तैयारी में हैं.

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