असम विधानसभा में 89 साल पुराना मुस्लिम विवाह और तलाक एक्ट खत्म करने के लिए बिल पेश

बाल विवाह रोकने और मुस्लिम विवाह पंजीकरण में 'काजी' प्रणाली खत्म करने के लिए, असम सरकार ने पिछले हफ्ते अनिवार्य मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण विधेयक, 2024 पर चर्चा की.

असम में 89 साल पुराना मुस्लिम विवाह और तलाक एक्ट हुआ खत्म, विधानसभा ने पारित किया बिल
असम की विधानसभा, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

गुवाहाटी (असम) : असम राज्य विधानसभा ने 89 साल पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को समाप्त करने के लिए गुरुवार को असम निरसन विधेयक, 2024 बिल पेश किया.

बाल विवाह को रोकने और मुस्लिम विवाह पंजीकरण में 'काजी' प्रणाली को खत्म करने के लिए, असम सरकार ने पिछले हफ्ते एक नया विधेयक, असम अनिवार्य मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण विधेयक, 2024 पेश किया और गुरुवार को राज्य विधानसभा में इस पर चर्चा हुई.

यह भी पढे़ं : 'सेना के बारे में बनाते हैं झूठी कहानियां', रूस ने पत्रकारों समेत 100 अमेरिकी नागरिकों पर लगाया बैन

असम के सीएम हिमंता ने कहा- हम राज्य में बाल विवाह रोकना चाहते हैं

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "हम मुस्लिम विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में काजी प्रणाली को खत्म करना चाहते हैं. इसके अलावा हम राज्य में बाल विवाह को भी रोकना चाहते हैं."

हालांकि, विपक्षी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने काजी व्यवस्था को खत्म करने का विरोध किया है. AIUDF नेता अमीनुल इस्लाम ने कहा, "हम बाल विवाह के खिलाफ हैं और सरकार पिछले अधिनियम में कुछ प्रावधानों में संशोधन कर सकती है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम, 1935 को निरस्त कर दिया."

विपक्षी दल एआईयूडीएफ ने कहा- अदालत में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं

उन्होंने कहा, "हमारे पास इस मामले को अदालत में ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है."

असम निरसन विधेयक, 2024 के प्रस्ताव का उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण नियम, 1935 को निरस्त करने के लिए असम निरसन अध्यादेश, 2024 के विधेयक को प्रतिस्थापित करना है. इसमें कहा गया है कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 स्वतंत्रता-पूर्व ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थाओं के लिए तत्कालीन असम प्रांत के लिए अपनाया गया अधिनियम है.

असम निरसन विधेयक, 2024 में कहा गया है, "विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य नहीं था और पंजीकरण की व्यवस्था अनौपचारिक थी, जिससे मौजूदा मानदंडों के गैर-अनुपालन की बहुत गुंजाइश बनी हुई थी."

असम के मंत्री ने बताई क्या हो रही है गड़बड़ी

असम के मंत्री जोगेन मोहन ने निरसन विधेयक के उद्देश्य और कारणों के विवरण में कहा कि, "21 वर्ष (पुरुष के मामले में) और 18 वर्ष (महिला के मामले में) से कम उम्र के इच्छुक व्यक्ति के विवाह को पंजीकृत करने की गुंजाइश बनी हुई थी और पूरे राज्य में इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए शायद ही कोई निगरानी की जाती हो, जिससे आपराधिक/सिविल अदालतों में बड़ी मात्रा में मुकदमेबाजी होती है. अधिकृत लाइसेंसधारियों (मुस्लिम विवाह रजिस्ट्रार) के साथ-साथ नागरिकों द्वारा कम उम्र/नाबालिग विवाह और पार्टियों की सहमति के बिना जबरन तय की गई शादियों के लिए दुरुपयोग की गुंजाइश थी."

यह भी पढे़ं : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और शी जिनपिंग जल्द ही बातचीत की योजना बना रहे हैं : व्हाइट हाउस