कट्टरपंथियों के सामने नतमस्क हुए यूनुस, बांग्लादेश के स्कूलों में संगीत और नृत्य पर लगी रोक

    Bangladesh Song-Dance Controversy: बांग्लादेश में शिक्षा से जुड़ा एक बड़ा फैसला अब विवाद का केंद्र बन गया है. प्राथमिक स्कूलों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला देश के इस्लामिक संगठनों को इतना नागवार गुज़रा कि सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा.

    Yunus bowed before the fundamentalists music and dance banned in Bangladesh schools
    Image Source: Social Media

    Bangladesh Song-Dance Controversy: बांग्लादेश में शिक्षा से जुड़ा एक बड़ा फैसला अब विवाद का केंद्र बन गया है. प्राथमिक स्कूलों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति का फैसला देश के इस्लामिक संगठनों को इतना नागवार गुज़रा कि सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा.

    मुस्लिम बहुल इस देश में कई कट्टरपंथी समूहों ने इस योजना को “ग़ैर-इस्लामी” बताते हुए ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किए, जिसके बाद सरकार को यह निर्णय रद्द करना पड़ा.

    इस्लामी समूहों के विरोध के आगे झुकी सरकार

    अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने कुछ महीने पहले घोषणा की थी कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों में गाने और डांस के शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे ताकि बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जा सके. लेकिन, इस कदम को इस्लामिक समूहों ने धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया. विरोध इतना बढ़ गया कि सरकार को आखिरकार सोमवार को यह निर्णय वापस लेना पड़ा.

    BDNews24 की रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक और जनशिक्षा मंत्रालय ने अब स्पष्ट कर दिया है कि नए नियमों में संगीत और शारीरिक शिक्षा (PT) शिक्षकों के पद हटा दिए गए हैं. मंत्रालय के अधिकारी मसूद अख्तर खान ने बताया कि पिछले साल जारी नियमों में चार पद थे, पर अब संशोधित नियमों में केवल दो श्रेणियां रखी गई हैं, संगीत और शारीरिक शिक्षा के शिक्षक अब शामिल नहीं होंगे.

    “तालिबान जैसी नीति” की तुलना

    विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह फैसला अफगानिस्तान के तालिबान शासन की याद दिलाता है, जिसने स्कूलों में संगीत पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, बांग्लादेश की स्थिति अभी वैसी नहीं है, लेकिन इस फैसले ने यह संकेत ज़रूर दिया है कि इस्लामी समूहों का दबाव सरकार पर बढ़ रहा है.

    शेख हसीना के बाद बढ़ा इस्लामिक प्रभाव

    शेख हसीना सरकार के हटने के बाद, जिन इस्लामी संगठनों को पहले सीमित कर दिया गया था, वे अब यूनुस सरकार के दौरान सक्रिय और मुखर हो गए हैं. वे न केवल शिक्षा नीति में हस्तक्षेप कर रहे हैं, बल्कि अब भारत-विरोधी और हिंदू-विरोधी बयानबाज़ी भी तेज़ कर चुके हैं. उनकी नवीनतम मांग है कि इस्कॉन (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाया जाए, जिसे वे “चरमपंथी संगठन” बताते हैं.

    धार्मिक शिक्षकों की मांग तेज़

    द डेली स्टार की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी समूहों ने सितंबर में यह मांग रखी थी कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों में केवल धार्मिक शिक्षक ही नियुक्त किए जाएं. उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे. उन्होंने संगीत और शारीरिक शिक्षा को “थोपी गई और बेकार व्यवस्था” बताया था.

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