UP: अभिभावकों के अकाउंट में जल्द पैसे भेजेगी सरकार, जानें सीएम योगी ने क्यों किया ये ऐलान?

    UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 जुलाई को बेसिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कई अहम निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 'स्कूल चलो अभियान' को और अधिक प्रभावी बनाने की बात कही ताकि प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

    Yogi government will soon send money to the parents accounts
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    UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 जुलाई को बेसिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कई अहम निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 'स्कूल चलो अभियान' को और अधिक प्रभावी बनाने की बात कही ताकि प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके. यह कदम यूपी के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है.

    मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि 06 से 14 वर्ष के बीच किसी भी बच्चे को विद्यालय से वंचित नहीं रहना चाहिए. उन्होंने विद्यालय प्रबंधन समिति, जिसमें प्रधानाध्यापक और ग्राम प्रधान शामिल हैं, से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो. इसके लिए मुख्यमंत्री ने 'स्कूल चलो अभियान' को सशक्त और प्रभावी रूप से लागू करने की आवश्यकता जताई है.

    अभिभावकों को मिलेगा आर्थिक सहायता

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने कहा कि 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों में पढ़ाई करने वाले प्रत्येक छात्र के अभिभावक को यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्टेशनरी और पाठ्य सामग्री के लिए ₹1,200 की राशि DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से भेजी जाएगी. यह कदम पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ लागू किया जाएगा ताकि बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए.

    स्कूल पेयरिंग से बेहतर गुणवत्ता

    सीएम ने यह भी बताया कि 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों को स्वतंत्र रूप से संचालित किया जाएगा, ताकि गुणवत्ता में सुधार हो और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके. उनका मानना है कि स्कूल पेयरिंग के माध्यम से विद्यालयों की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी.

    रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां

    मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जाएं ताकि शिक्षक-छात्र अनुपात आदर्श स्थिति में हो. इससे शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी.

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