UP के किसानों के लिए खुशखबरी! बाजरा खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान और MSP दे रही योगी सरकार

    राज्य सरकार ने बाजरा जैसी कम पानी में होने वाली फसलों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, ताकि किसानों को राहत मिल सके. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बाजरा की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

    Yogi government is giving subsidy and MSP for millet cultivation in UP
    Image Source: ANI/Freepik

    UP News: उत्तर प्रदेश में इस बार मॉनसून की बारिश बेहद कम हुई है, जो किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है. विशेषकर धान की खेती के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि धान को अच्छी फसल के लिए पर्याप्त बारिश की आवश्यकता होती है. इस कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने बाजरा जैसी कम पानी में होने वाली फसलों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, ताकि किसानों को राहत मिल सके. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बाजरा की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

    बाजरा: कम पानी में उगने वाली फसल

    उत्तर प्रदेश में धान, गेहूं और मक्का के बाद लगभग 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर बाजरा की खेती होती है. यह फसल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है, जो इसे किसानों के लिए आदर्श विकल्प बनाता है. विशेषकर उन 29 जिलों में, जहां इस साल बारिश का स्तर औसत से कम रहा है, बाजरा किसानों के लिए एक लाभकारी सौदा साबित हो सकता है. कृषि विभाग इस समय इसे वैकल्पिक फसल के रूप में प्रोत्साहित कर रहा है.

    बाजरा: एक पोषक और औषधीय गुणों से भरपूर फसल

    बाजरा न केवल पोषण से भरपूर होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी कई लाभ देता है. बाजरा में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन B-कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं. यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. बाजरा का सेवन डायबिटीज, मोटापा, हृदय रोग और पाचन संबंधी समस्याओं में मददगार माना जाता है. इसके अलावा, यह ग्लूटेन-फ्री होने के कारण एलर्जी या सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए भी सुरक्षित है. इसके दानों से औषधियां तैयार की जा रही हैं, जो इसकी औषधीय महत्व को और बढ़ाती हैं.

    बाजरा की खेती क्यों है फायदेमंद?

    बाजरा उन क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है, जहां 400-500 मिमी वर्षा होती है. यह फसल अगस्त तक बोई जा सकती है और इसकी अवधि 80-85 दिन होती है. इसका मतलब है कि नवंबर से पहले इसकी कटाई की जा सकती है, जिससे रबी फसलों की बुवाई समय पर हो सकती है. इसके अलावा, बाजरा की खेती में धान के मुकाबले लागत कम आती है, और बाजार में इसका भाव भी बेहतर मिलता है. यानी, किसान बाजरा से अधिक लाभ कमा सकते हैं. बाजरा की कुछ प्रमुख किस्में जैसे 86M84, BIO-8145, NBH-5929 और धनशक्ति प्रति हेक्टेयर 35-40 क्विंटल तक पैदावार देती हैं.

    हाइब्रिड बीजों पर सब्सिडी

    राज्य सरकार बाजरे की हाइब्रिड किस्मों के बीज पर सब्सिडी भी दे रही है, जिससे किसानों की खेती की लागत कम हो रही है. इसके अलावा, 2022-23 से बाजरे की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जा रहा है, जिससे किसानों को इसका स्थिर और लाभकारी दाम मिल रहा है.

    कृषि विभाग की अपील

    कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे अपने क्षेत्र की भूमि की उपयुक्तता को देखते हुए बाजरे की खेती करें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं. कम पानी, कम लागत और अधिक लाभ देने वाली इस फसल के जरिए किसान न केवल जलवायु की अनिश्चितताओं से निपट सकते हैं, बल्कि अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं. इसलिए, अगर आप भी खेती करने वाले किसान हैं और पानी की कमी से जूझ रहे हैं, तो बाजरा एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. इसे अपनाकर आप न सिर्फ अपनी कृषि स्थिति को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि कम लागत में बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.  

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