UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने फाइलेरिया बीमारी के उन्मूलन को लेकर एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिसका लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक प्रदेश को पूरी तरह ‘फाइलेरिया मुक्त’ बनाया जाए. इस दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब तक के सबसे बड़े और व्यापक एमडीए (सर्वजन दवा सेवन) अभियान का शुभारंभ किया है, जो 27 जिलों के 195 ब्लॉकों में एक साथ चलाया जा रहा है. इस अभियान का उद्देश्य लिम्फेटिक फाइलेरियासिस नामक बीमारी को जड़ से खत्म करना है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है और समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करती है.
प्रदेश में व्यापक एमडीए अभियान की शुरुआत
रविवार से शुरू हुए इस अभियान के तहत, जिन 27 जिलों में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है, वहां के जनप्रतिनिधियों ने खुद दवा ग्रहण कर इस पहल को जन-जन तक पहुँचाने का संदेश दिया. स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ राज्य के ग्रामीण आजीविका मिशन, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग भी इस अभियान में सक्रिय रूप से जुड़े हैं. यह समन्वित प्रयास इस बीमारी के उन्मूलन में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है.
सामूहिक भागीदारी और जागरूकता
एमडीए अभियान की सफलता के लिए जनता का सहयोग बेहद जरूरी है. इसीलिए राज्य सरकार ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को अभियान का अहम हिस्सा बनाया है ताकि वे दवा की सुरक्षा और प्रभावशीलता को लेकर आम जनता की शंकाओं को दूर कर सकें. शिक्षा विभाग भी इसमें पीछे नहीं है. स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों को फाइलेरिया के खतरों और रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरूक किया जा रहा है. स्कूल की प्रार्थना सभाओं और अन्य कार्यक्रमों के दौरान बच्चों को यह संदेश दिया जाता है कि वे अपने परिवार और समुदाय में भी इस अभियान की जानकारी फैलाएं.
स्वास्थ्य विभाग की निगरानी और दिशा-निर्देश
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार इस अभियान की निरंतर निगरानी की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने सभी सहयोगी विभागों को सटीक दिशा-निर्देश दिए हैं, ताकि कार्य में कोई कमी न रह जाए. इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य अभियान को सुसंगत और प्रभावी बनाना है, जिससे सभी लोग दवा ग्रहण करें और फाइलेरिया के खतरे से बचाव हो सके.
फाइलेरिया के खतरे और बचाव के उपाय
फाइलेरिया एक मच्छर जनित रोग है, जो मुख्य रूप से क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलता है. यह बीमारी शरीर के अंगों में सूजन और विकृति का कारण बनती है, जो अक्सर लक्षणों के प्रकट होने में दस से पंद्रह साल तक का समय ले सकती है. इस बीमारी का कोई पूर्ण इलाज तो नहीं है, लेकिन पांच साल तक नियमित दवा सेवन से इस बीमारी की शुरुआत को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है. इसलिए यह अभियान समय पर दवा का सेवन सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
जिलों में तैनात अधिकारियों की भूमिका
अभियान को सफल बनाने के लिए प्रदेश के 27 जिलों में 35,483 औषधि प्रशासक और 7,096 पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं. इनके माध्यम से हर ब्लॉक में दवा का वितरण और सेवन सुनिश्चित किया जाएगा. 195 ब्लॉकों में व्यापक सूचना एवं संचार सामग्री भी पहुंचाई गई है. साथ ही, 390 त्वरित प्रतिक्रिया दल बनाए गए हैं, जो किसी भी दवा के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए तत्पर हैं.
जागरूकता और सहयोग की जरूरत
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राशन दुकानों पर अभियान से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराकर जनसामान्य तक पहुंच बनाने में मदद कर रहा है. यह पहल उन परिवारों को भी शामिल करने की कोशिश है जो किसी कारणवश दवा सेवन से कतराते हैं. सरकार का मानना है कि व्यापक जनभागीदारी और सही जानकारी के साथ ही फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
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