आखिर क्यों इजराइली पीएम की हत्या करना चाहती थी 73 वर्षीय महिला? सामने आई सच्चाई

    इज़राइल की राजनीति इन दिनों उस वक्त चौंक गई, जब एक 73 वर्षीय महिला पर प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा. यह सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि उस असंतोष और राजनीतिक विभाजन की गहराई को उजागर करता है, जो लंबे समय से देश में उबाल मार रहा है.

    Why women wants to kill netanyahu to take revenge of martyr death
    Image Source: Social Media

    इज़राइल की राजनीति इन दिनों उस वक्त चौंक गई, जब एक 73 वर्षीय महिला पर प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा. यह सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि उस असंतोष और राजनीतिक विभाजन की गहराई को उजागर करता है, जो लंबे समय से देश में उबाल मार रहा है.

    जिस महिला का नाम इस मामले में सामने आया है, वह तमार गर्शनी बताई गई हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार गर्शनी एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें हाल ही में अपनी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता चला. इसी मानसिक और भावनात्मक अवस्था में उन्होंने कथित तौर पर एक अतिवादी विचार अपनाते हुए नेतन्याहू की हत्या करने की योजना बनाई, ताकि वे अपने अंतिम समय में खुद को 'शहीद' के रूप में पेश कर सकें.

    बीमार बुज़ुर्ग महिला, आत्मघाती मिशन पर निकली थी?

    अभियोजन पक्ष का कहना है कि गर्शनी का मकसद निजी बदला नहीं था, बल्कि उनका मानना था कि नेतन्याहू देश को नुकसान पहुँचा रहे हैं और उन्हें हटाना ‘राष्ट्रभक्ति’ होगी. यह विचार उन्हें इतना प्रभावित कर गया कि वे अपने जीवन का अंत एक ‘बलिदान’ के रूप में करना चाहती थीं.

    कैसे सामने आई साजिश की परतें

    इस हाई-प्रोफाइल मामले की जानकारी तब बाहर आई जब एक वकील और एक्टिविस्ट गोनन बेन-इट्ज़हाक ने सुरक्षा एजेंसियों को चेतावनी दी. गोनन पहले इज़राइली सुरक्षा एजेंसी शिन बेट का हिस्सा रह चुके हैं और वर्तमान में नेतन्याहू सरकार के मुखर आलोचक हैं. उनके मुताबिक, गर्शनी ने उन्हें बताया था कि वह नेतन्याहू को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG) से निशाना बनाने की योजना पर काम कर रही थीं. इस बेहद खतरनाक योजना की जानकारी मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गईं और गर्शनी को हिरासत में ले लिया गया.

    अदालत में चली पहचान छिपाने की कोशिश

    गर्शनी को जब गिरफ्तार किया गया, तब उनकी पहचान को सार्वजनिक नहीं किया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब उन्होंने अपनी पहचान छुपाए रखने की याचिका दायर की, तो उसे खारिज कर दिया गया और मीडिया में उनका नाम सामने आ गया.इस बीच, गर्शनी और उनके वकीलों ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक ग़लतफहमी है. उनका कहना है कि गर्शनी किसी आतंकी संगठन या संगठित गिरोह से जुड़ी नहीं थीं. हालांकि, यह बात ज़रूर है कि वे कई वर्षों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय रही हैं और कई बार खबरों में भी रही हैं.

    राजनीतिक असर और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

    इस पूरे मामले ने इज़राइली सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. एक बुज़ुर्ग महिला, जो किसी सैन्य पृष्ठभूमि से नहीं है, यदि प्रधानमंत्री की हत्या की योजना बना रही थी और काफी हद तक तैयार भी थी, तो यह दर्शाता है कि देश के अंदरूनी हालात कितने तनावपूर्ण हो चुके हैं. यह घटना सिर्फ एक साजिश नहीं, बल्कि उस उग्र असहमति की गवाही है जो नेतन्याहू के शासन के खिलाफ लगातार बढ़ती जा रही है. सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने वाली एक महिला का इतना बड़ा कदम उठाना, राजनीतिक अस्थिरता के गंभीर संकेत देता है.

    क्या यह अकेली घटना थी, या और भी कुछ छिपा है?

    सवाल यह भी उठता है कि क्या गर्शनी अकेली थीं, या उनके पीछे कोई और नेटवर्क था? अब तक की जांच में कोई संगठित साजिश सामने नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां हर कोण से जांच कर रही हैं.

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