अलास्का में पूप-सूटकेस लेकर गए थे पुतिन के बॉडीगार्ड, इसमें इकट्ठा किया मल-मूत्र, क्या छिपा रहा है रूस?

    हाल ही में अमेरिकी मीडिया में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अलास्का में मिलने पहुंचे थे, तो उनकी सुरक्षा टीम एक विशेष प्रकार का सूटकेस साथ लेकर आई थी. इसे मीडिया में "पूप-सूटकेस" कहा जा रहा है.

    why Putin bodyguard collects faeces and urine in Alaska
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    वॉशिंगटन डीसी: हाल ही में अमेरिकी मीडिया में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अलास्का में मिलने पहुंचे थे, तो उनकी सुरक्षा टीम एक विशेष प्रकार का सूटकेस साथ लेकर आई थी. इसे मीडिया में "पूप-सूटकेस" कहा जा रहा है.

    रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सूटकेस का उद्देश्य पुतिन के शरीर से निकलने वाले जैविक अवशेष जैसे मल और मूत्र को संग्रहित करना था ताकि उन्हें किसी भी स्थिति में विदेशी खुफिया एजेंसियों के हाथ न लगने दिया जाए.

    क्यों जरूरी है यह जैविक सुरक्षा?

    किसी भी देश के शीर्ष नेता के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को अत्यंत गोपनीय माना जाता है. पुतिन के मामले में यह सतर्कता कहीं अधिक है. यदि किसी विदेशी एजेंसी के हाथ उनकी जैविक सामग्री लग जाती है, तो वे उसके जरिए डीएनए टेस्ट और मेडिकल एनालिसिस कर सकते हैं.

    इनसे यह जानकारी सामने आ सकती है कि राष्ट्रपति को कोई गंभीर बीमारी है या नहीं- जैसे कैंसर, डायबिटीज, किडनी या लिवर की खराबी, या पार्किंसन जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियां. इसके अलावा, शरीर से निकलने वाले अपशिष्ट में मौजूद दवाओं के अंशों से यह भी पता लगाया जा सकता है कि कौन सी दवाएं ली जा रही हैं और किस बीमारी का इलाज चल रहा है.

    ऐसी जानकारी बाहर आने पर राजनीतिक और कूटनीतिक तौर पर बड़ा असर पड़ सकता है. विरोधी देश इसे राष्ट्रपति की कमजोरी के रूप में पेश कर सकते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि को नुकसान पहुंच सकता है. साथ ही, देश के भीतर भी जनता और राजनीतिक व्यवस्थाओं का भरोसा डगमगा सकता है.

    कोई नई रणनीति नहीं

    यह सुरक्षा प्रोटोकॉल कोई नई बात नहीं है. फ्रांस की एक प्रतिष्ठित पत्रिका 'पेरिस मैच' के अनुसार, 2017 में पुतिन के फ्रांस दौरे और वियना यात्रा के दौरान भी उनकी टीम ने ऐसे ही जैविक सुरक्षा उपाय अपनाए थे. इन मामलों में भी विशेष सुरक्षा अधिकारी पुतिन के जैविक अवशेषों को एकत्र कर रूस वापस ले गए थे.

    हालांकि क्रेमलिन की ओर से इन खबरों को हमेशा "अफवाह" बताया गया है, लेकिन इन खबरों के सामने आने के बाद चर्चा और अटकलें थमी नहीं हैं.

    पुतिन की सेहत पर लगती रही हैं अटकलें

    व्लादिमीर पुतिन की सेहत लंबे समय से मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए रहस्य बनी हुई है. 2023 में बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको से मुलाकात के दौरान पुतिन की कुर्सी पर झटके से बैठने की हरकत, और कजाकिस्तान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके पैरों की बार-बार हरकत जैसी घटनाओं ने इन अटकलों को और हवा दी थी.

    पश्चिमी मीडिया में पहले भी कई बार दावा किया गया है कि पुतिन को थायरॉयड कैंसर, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर या अन्य बीमारियां हो सकती हैं. एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि मॉस्को के एक प्रसिद्ध सर्जन, जो थायरॉयड कैंसर के विशेषज्ञ हैं, वे पुतिन के निजी निवास पर कई बार जा चुके हैं.

    2020 में रूसी राजनीतिक विश्लेषक वलेरी सोलोवी ने दावा किया था कि पुतिन को कैंसर और पार्किंसन रोग है और वह एक बार आपातकालीन सर्जरी से भी गुजर चुके हैं. हालांकि, यह सभी दावे आधिकारिक तौर पर कभी स्वीकार नहीं किए गए और रूसी प्रशासन ने हमेशा इन खबरों को "अफवाह" करार दिया.

    हेल्थ डाटा क्यों होता है संवेदनशील?

    विश्व राजनीति में नेताओं की सेहत का मसला केवल व्यक्तिगत चिंता का विषय नहीं होता, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों का भी हिस्सा बन जाता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी नेता की बीमारी सार्वजनिक हो जाए, तो उनके नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं. इससे न केवल उनके घरेलू विरोधी ताकतवर हो सकते हैं, बल्कि विदेश नीति और सैन्य निर्णयों पर भी असर पड़ सकता है.

    रूस जैसे देश, जो पहले से ही पश्चिमी देशों से तनाव की स्थिति में रहते हैं, वहां इस तरह की जानकारियों का लीक होना रणनीतिक रूप से बेहद खतरनाक माना जाता है.

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