लोकसभा में मॉनसून सत्र की कार्यवाही जारी है. सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर जारी महाबहस में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. आपको बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विपक्ष लगातार ये सवाल उठा रहा था कि आखिर इस ऑपरेशन को बीच में क्यों रोक दिया गया. इसी सवाल का जवाब अमित शाह ने लोकसभा में बहस के दौरान दिया है.
शाह ने बताया कि पाकिस्तान के पास भारत की सेना के प्रहार से बचने के लिए सरेंडर करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. लेकिन विपक्ष का सवाल था और बार-बार पूछा जा रहा था कि आखिर इसे क्यों रोका गया तो उन्होंने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि अपने युद्ध के अपने नुकसान होते हैं.
पाकिस्तान ने किया ऑपरेशन सिंदूर में सरेंडर
उन्होंने विपक्ष को करारा जवाब देते हुए कहा कि युद्ध के अपने ही नुकसान होते हैं. इसी दौरान उन्होंने साल 1948 में हुए कश्मीर युद्ध को लेकर भी चर्चा की और कहा कि सरदार पटेल के विरोध के बावजूद जवाहरलाल नेहरू ने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा कर दी. फिर उन्होंने 1971 के बांग्लादेश विजय की चर्चा की. शाह ने कहा कि 1971 में पूरे देश ने इंदिरा जी का समर्थन किया था. लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, ये भारत की बहुत बड़ी विजय थी, इसपर पूरा भारत गर्व करता है, हम भी करते हैं. उस समय 93 हजार युद्धबंदी और 15 हजार वर्ग किमी क्षेत्र हमारे कब्जे में था. मगर शिमला समझौता हुआ, तो ये PoK मांगना ही भूल गए. अगर उस समय PoK मांग लेते, तो न रहता बांस न बजती बांसुरी. इन्होंने PoK तो नहीं लिया, उल्टा 15 हजार वर्ग किमी की जीती हुई भूमि भी वापस दे दी.
विपक्ष पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि कल यहां ढेर सारे सवाल उठाए गए. कल रक्षा मंत्री जी ने बहुत बारिकी से ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, जरूरत, प्रासंगिकता और इसके परिणाम सदन के माध्यम से पूरे देश की जनता के सामने रखा, लेकिन, इन्होंने (विपक्ष) ने फिर भी बहुत सवाल किए, अब सवाल किए हैं, तो मुझे जवाब भी देना पड़ेगा और इनको सुनना भी पड़ेगा. विपक्ष को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं है. आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है और वह कांग्रेस की भूल है.
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