मॉस्को: यूक्रेन-रूस युद्ध ने एक और महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है. यूक्रेनी खुफिया एजेंसी SBU द्वारा रूस के गहरे अंदर स्थित रणनीतिक एयरबेस पर किए गए एक अत्यंत साहसी ड्रोन हमले ने वैश्विक सैन्य विश्लेषकों को चौंका दिया है. यूक्रेनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस विशेष ऑपरेशन में Tu-95, Tu-22M3 और A-50 जैसे महत्वपूर्ण सैन्य विमानों को निशाना बनाया गया, जो रूसी वायु शक्ति के स्तंभ माने जाते हैं.
हालांकि रूसी पक्ष से अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यदि ये दावे सटीक साबित होते हैं, तो यह यूक्रेन की ओर से अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष रणनीतिक हमला होगा, जो रूस के हृदयस्थल तक पहुंचने की उसकी क्षमताओं को दर्शाता है.
4000 किलोमीटर की दूरी: कैसे हुआ हमला?
यूक्रेन द्वारा उपयोग किए गए FPV (First Person View) ड्रोन छोटे, सस्ते लेकिन उच्च सटीकता वाले हथियार हैं जिन्हें आम तौर पर रेसिंग या शौकिया उपयोग के लिए बनाया जाता है, लेकिन युद्ध के परिदृश्य में इन्हें विस्फोटक से लैस करके हमले के लिए उपयोग किया गया.
#BREAKING Russia's Belaya strategic bombers airbase in Irkutsk region, 4,000 km from Ukraine, does not feel good today. The locals say "it is already the 11th (drone)", and we can clearly see an FPV quadrocopter drone flying, what proves that it is an action of a sabotage group⬇️ pic.twitter.com/1CEc6q3hap
— Sergej Sumlenny, LL.M (@sumlenny) June 1, 2025
रिपोर्ट्स के अनुसार, इन ड्रोन को रूस के अंदर ही ट्रकों के जरिए गुप्त रूप से स्थानांतरित किया गया और वहां से स्थानीय स्तर पर लॉन्च किया गया. हमले का प्रमुख लक्ष्य था रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र में स्थित बेलाया एयरबेस, जो यूक्रेनी सीमा से करीब 4,000 किलोमीटर दूर है.
FPV ड्रोन: सस्ते हथियार, घातक असर
FPV ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है, उनकी लो प्रोफाइल और उच्च सटीकता.
लागत: $500 से $3000 तक
रेंज: 100 से 150 किलोमीटर
उड़ान ऊंचाई: बेहद कम, पेड़ों या इमारतों की ऊंचाई के बराबर
रडार से बचाव: कम ऊंचाई और धीमी गति के कारण पारंपरिक रडार सिस्टम इन्हें नहीं पकड़ पाते
मार्गदर्शन: ये रीयल-टाइम FPV कैमरा या ऑटोनॉमस नेविगेशन के जरिए नियंत्रित किए जाते हैं
इनकी विशेषता है कि ये कम लागत में अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे ये आधुनिक "असमान युद्ध" का प्रमुख हथियार बनते जा रहे हैं.
रूसी एयर डिफेंस सिस्टम क्यों नाकाम?
रूस के पास दुनिया के सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम, जैसे S-400, Pantsir-S1, Buk-M3, Tor-M2 मौजूद हैं. फिर भी वे इस हमले को न रोक सके. इसके पीछे कई रणनीतिक कारण हैं:
ड्रोन का आकार: ये बेहद छोटे होते हैं, रडार पर दिखाई नहीं देते
उड़ान ऊंचाई: इतने नीचे उड़ते हैं कि रडार की लाइन-ऑफ-साइट इन तक नहीं पहुंचती
धीमी गति: पारंपरिक मिसाइलों या जेट्स की तुलना में ये धीमे हैं, जिससे एडवांस सिस्टम इन्हें प्राथमिकता नहीं देते
जैमिंग रोधी तकनीक: यदि इन ड्रोन को लेजर या GPS गाइडेंस से लैस किया जाए, तो वे इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से भी बच सकते हैं
इस हमले ने स्पष्ट कर दिया है कि अत्यधिक आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम भी अब सस्ते, असममित और लचीले हथियारों के सामने अजेय नहीं रहे.
क्या बदलेगा युद्ध का चेहरा?
यूक्रेन के दावों के अनुसार:
इन सभी पर सटीक हमले किए गए हैं. यदि यह आंशिक रूप से भी सत्य है, तो इसका अर्थ है कि रूस की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक और निगरानी क्षमता को गंभीर झटका लगा है.
असमान युद्ध में नया अध्याय
इस हमले से दो प्रमुख संकेत मिलते हैं:
कम बजट और हाई इंटेलिजेंस वाले मिशन अब सामरिक संतुलन को हिला सकते हैं. यूक्रेन ने यह दिखा दिया है कि भविष्य का युद्ध केवल हथियारों की ताकत पर नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच, नवाचार और साइबर-सक्षम संचालन पर आधारित होगा.
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