अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक संतुलन बनाना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है, खासकर तब जब कोई देश अपनी विदेश नीति को "रणनीतिक स्वायत्तता" के सिद्धांत पर आधारित रखता हो. भारत का अजरबैजान को लेकर हालिया रुख इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, जब भारत ने अजरबैजान की SCO सदस्यता की राह में अड़ंगा लगाया है.
अजरबैजान ने खुले तौर पर आरोप लगाया है कि भारत उसके शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल होने की प्रक्रिया को बाधित कर रहा है, जबकि अन्य प्रमुख सदस्य देश जैसे चीन, रूस और पाकिस्तान इस फैसले के पक्ष में हैं. इस आरोप ने भारत-अजरबैजान संबंधों में एक नई तल्खी भर दी है.
SCO की सदस्यता पर विवाद: मामला क्या है?
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक बहुपक्षीय सुरक्षा और आर्थिक संगठन है जिसमें रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के कई देश सदस्य हैं. अजरबैजान फिलहाल इसमें "डायलॉग पार्टनर" के रूप में जुड़ा हुआ है, लेकिन उसने SCO में "पर्यवेक्षक" (Observer) की स्थिति के लिए आवेदन किया था.
यह एक कदम उसे भविष्य में पूर्ण सदस्यता की ओर ले जा सकता था. लेकिन अजरबैजान का दावा है कि भारत ने इस प्रक्रिया को ब्लॉक कर दिया है.
अजरबैजान का आरोप: भारत पक्षपात कर रहा
अजरबैजानी राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने चीन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान भारत पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भारत की आपत्ति का एकमात्र कारण पाकिस्तान के साथ अजरबैजान की घनिष्ठता है.
अलीयेव के मुताबिक, “हमारे पाकिस्तान के साथ ऐतिहासिक और गहरे रिश्ते हैं, और हम इस दोस्ती को प्राथमिकता देते हैं. भारत इस कारण अजरबैजान को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रोकने की कोशिश कर रहा है.”
अजरबैजान की मीडिया का भी कहना है कि भारत का उनके देश से कोई प्रत्यक्ष द्विपक्षीय टकराव नहीं है न सैन्य, न आर्थिक, न ही कूटनीतिक. फिर भी भारत अजरबैजान की SCO में प्रगति रोक रहा है.
तो आखिर भारत क्यों कर रहा है विरोध?
भारत की ओर से इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया भले ही संयमित रही हो, लेकिन इसके पीछे कुछ स्पष्ट और ठोस रणनीतिक कारण हैं, जो किसी भी तटस्थ विदेशी नीति विश्लेषक की नजर से छिपे नहीं हैं.
1. अजरबैजान की पाकिस्तान परस्त नीति
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता अजरबैजान और पाकिस्तान के घनिष्ठ सैन्य और रणनीतिक संबंध हैं. अजरबैजान ने न केवल पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है, बल्कि कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी रुख भी अपनाया है.
कई मौकों पर अजरबैजान ने संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे मंचों पर कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना की है, और पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए हैं.
2. ऑपरेशन सिंधु सुदर्शन के समय सैन्य सहयोग
जब भारत ने अपने सैन्य अभ्यासों के ज़रिए पाकिस्तान को संदेश देने की कोशिश की थी, तब अजरबैजान ने पाकिस्तान के साथ मिलकर सामरिक सहयोग किया. कुछ रिपोर्टों में तो यहां तक कहा गया कि अजरबैजान ने उस वक्त पाकिस्तान को ड्रोन, खुफिया जानकारी और सैन्य समर्थन भी मुहैया कराया था.
3. अर्मेनिया-भारत की बढ़ती नजदीकी
भारत और आर्मेनिया के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और कूटनीतिक रिश्ते तेज़ी से गहरे हुए हैं. भारत ने आर्मेनिया को हथियार, रडार और अन्य रक्षा उपकरण सप्लाई किए हैं. इसके उलट, अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर लंबे समय से सैन्य संघर्ष चल रहा है.
2023 में अजरबैजान ने कराबाख क्षेत्र पर हमला कर वहां अर्मेनियाई मूल के नागरिकों को विस्थापित कर दिया था, जिसकी भारत ने प्रत्यक्ष तौर पर तो आलोचना नहीं की, लेकिन अर्मेनिया के साथ अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाई.
इस तरह, अजरबैजान भारत के मित्र देश का दुश्मन है और कूटनीति में ऐसा समीकरण भी सदस्यता जैसे फैसलों में अहम भूमिका निभाता है.
4. SCO में शक्ति संतुलन का मुद्दा
भारत SCO में एकमात्र ऐसा देश है जो रूस और चीन की छत्रछाया से स्वतंत्र भूमिका निभाने की कोशिश करता है. यदि अजरबैजान जैसा देश, जो चीन, तुर्की और पाकिस्तान के निकट है, सदस्य बन जाता है, तो यह SCO के भीतर चीन-पाक-तुर्की धड़े को और मजबूत कर सकता है.
यह भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब वह सेंट्रल एशिया और यूरेशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
भारत की चुप्पी: रणनीति या संयम?
भारत ने अभी तक अजरबैजान के आरोपों पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन यह चुप्पी कई मायनों में रणनीतिक है. भारत संभवतः इस मुद्दे को सार्वजनिक बहस का हिस्सा नहीं बनाना चाहता, ताकि वह SCO जैसे मंचों पर खुद को रचनात्मक सदस्य के रूप में पेश करता रहे.
भारत अपने वैश्विक मंचों पर "वसुधैव कुटुम्बकम्" यानी 'पूरी दुनिया एक परिवार' की नीति का अनुसरण करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा चिंताओं से समझौता करे.
ये भी पढ़ें- जिस वजह से ट्रंप ने लगाया टैरिफ, वह बना भारत की तगड़ी कमाई का जरिया, कर ली 12.6 अरब डॉलर की बचत