पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर की अचानक चीन यात्रा ने दक्षिण एशिया में खलबली मचा दी है. हाल ही में, असीम मुनीर को श्रीलंका और इंडोनेशिया का दौरा करना था, जो पहले से तय था, लेकिन उन्होंने इन यात्रा कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और सीधे बीजिंग का रुख किया. इस दौरे को लेकर एक खास रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि यह सिर्फ एक सामान्य यात्रा नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लिए चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने की एक रणनीति है. इसके अलावा, रिपोर्ट के मुताबिक, असीम मुनीर का चीन जाने का मुख्य कारण पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हो रहे हमले हैं, जिनके कारण चीन में गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
हाल ही में पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों पर हुए हमलों ने बीजिंग को चिंतित कर दिया है, क्योंकि चीन पाकिस्तान को अपनी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का अहम केंद्र मानता है. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने असीम मुनीर से मुलाकात करते हुए पाकिस्तान से चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग की.
चीन की चिंता और असीम मुनीर की यात्रा
इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि पाकिस्तान में हो रहे आतंकवादी हमले और राजनीतिक अस्थिरता उसकी रणनीति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं. ऐसे में असीम मुनीर का अचानक बीजिंग दौरा यह दर्शाता है कि पाकिस्तान, चीनी सहायता और समर्थन को प्राथमिकता देते हुए, पारंपरिक क्षेत्रीय संबंधों को दरकिनार कर चीन से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है.
चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की कोशिश
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने की रणनीति के पीछे एक बड़ा राजनयिक उद्देश्य छिपा हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान चीन और अमेरिका दोनों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश में है, ताकि अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर सके. इससे पहले, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत पाकिस्तान को सकारात्मक संकेत मिल चुके थे, और अब असीम मुनीर वॉशिंगटन में भारत के बढ़ते प्रभाव के बीच पाकिस्तान को फिर से प्रासंगिक बनाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए अमेरिका से समर्थन प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों को शरण देने का इतिहास और चीन के साथ गहरे रिश्ते हैं.
पाकिस्तान की संघर्षपूर्ण कूटनीति
असीम मुनीर की यह दौड़ चीन और अमेरिका के बीच पाकिस्तान की उलझन को दिखाती है. पाकिस्तान एक तरफ चीन से हथियार और वित्तीय सहायता की उम्मीद करता है, तो दूसरी तरफ अमेरिका से सैन्य सहायता और राजनीतिक वैधता की आस लगाए बैठा है. इसके अलावा, पाकिस्तान की चिंता यह भी है कि भारत ने अपने क्षेत्रीय प्रभाव को और मजबूत कर लिया है, और पाकिस्तान लगातार एशिया, खासकर दक्षिण एशिया में अपनी उपेक्षा का सामना कर रहा है. इस माहौल में, पाकिस्तान के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है, जहां उसे दोनों ताकतवर देशों के बीच संतुलन साधने की कोशिश करनी पड़ रही है.
भारत को रोकने की कोशिश
वहीं, पाकिस्तान का यह कदम, भारत को रोकने के लिए उसकी बढ़ती सैन्य और कूटनीतिक ताकत को चुनौती देने का प्रयास भी हो सकता है. भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका, जापान और अन्य देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत किया है, जिससे पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति को खतरे में देखने का डर हो रहा है. चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने की पाकिस्तान की यह कोशिश उसकी बेताबी और हड़बड़ी को स्पष्ट करती है. आखिरकार, पाकिस्तान अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए भारत के बढ़ते क्षेत्रीय नेतृत्व के खिलाफ अपनी रणनीति तैयार कर रहा है. असीम मुनीर की चीन और अमेरिका के बीच की दौड़ पाकिस्तान की कूटनीतिक और राजनीतिक उलझन को बयां करती है, जिसमें वह हर हाल में दोनों देशों से समर्थन पाने की कोशिश कर रहा है.
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