2025 में कौन है दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीदार? जानें ग्लोबल डिफेंस रेस में कहां पहुंचा भारत?

    साल 2025 में वैश्विक सुरक्षा और सैन्य संतुलन एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है. दुनिया के कई बड़े देश न सिर्फ रक्षा तकनीक में निवेश कर रहे हैं, बल्कि हथियारों की खरीद में भी अभूतपूर्व तेजी आई है.

    Who is the worlds biggest arms buyer in 2025
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली/वॉशिंगटन: साल 2025 में वैश्विक सुरक्षा और सैन्य संतुलन एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है. दुनिया के कई बड़े देश न सिर्फ रक्षा तकनीक में निवेश कर रहे हैं, बल्कि हथियारों की खरीद में भी अभूतपूर्व तेजी आई है. इस रेस में अमेरिका, यूरोप और एशिया के देशों की अगुवाई में भारत भी अब केवल एक ग्राहक नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार और उभरता निर्यातक बनकर सामने आ रहा है.

    अमेरिका: अब भी शीर्ष पर

    अमेरिका ने एक बार फिर दुनिया के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है.

    सऊदी अरब के साथ 142 अरब डॉलर की ऐतिहासिक डील में लड़ाकू विमान, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और संभावित रूप से F-35 जैसे आधुनिक हथियार शामिल हैं.

    पोलैंड के साथ हुई 2 अरब डॉलर की पैट्रियट मिसाइल डील नाटो सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.

    ब्रिटेन, जो नाटो के परमाणु मिशनों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहा है, ने अमेरिका से 12 F-35A स्टील्थ जेट्स खरीदने की 1.5 अरब डॉलर की डील पर हस्ताक्षर किए हैं.

    यूरोप: सामूहिक रक्षा की ओर बड़ा कदम

    यूरोपीय संघ ने 150 अरब यूरो की रक्षा खरीद कोष की घोषणा कर क्षेत्रीय सुरक्षा और सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है.

    फ्रांस ने स्वीडन से ग्लोबलआई एयरबोर्न सर्विलांस सिस्टम की खरीद कर उच्च तकनीकी साझेदारी की दिशा में कदम बढ़ाया है.

    GCAP (ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम) के तहत ब्रिटेन, जापान और इटली मिलकर छठी पीढ़ी के फाइटर जेट विकसित कर रहे हैं, जिसे 2027 तक तैनात किए जाने की योजना है.

    भारत: आयातक से निर्यातक और डेवलपर की ओर

    2025 में भारत की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. भारत न सिर्फ हथियार आयात कर रहा है, बल्कि घरेलू उत्पादन और निर्यात में भी सक्रियता से आगे बढ़ रहा है.

    ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की सफल निर्यात नीति के तहत:

    • फिलीपींस को दूसरी बैटरी सौंप दी गई है.
    • वियतनाम के साथ 700 मिलियन डॉलर, और इंडोनेशिया के साथ 450 मिलियन डॉलर की डील पर बातचीत अंतिम चरण में है.
    • भारत का रक्षा निर्यात 12% बढ़कर 2.76 अरब डॉलर पहुंच गया है – इसमें गश्ती पोत, मिसाइल, ड्रोन और रडार शामिल हैं.
    • रिलायंस और जर्मनी की डाइहल डिफेंस के बीच 10,000 करोड़ रुपये के गोला-बारूद निर्माण समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.

    भारत के प्रमुख रक्षा सौदे (2025)

    • नेवी के लिए 63,000 करोड़ रुपये की राफेल-एम लड़ाकू विमान डील.
    • 156 प्रचंड (लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स) के लिए 45,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति.

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