Vice President Election 2025: संसद भवन में 9 सितंबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चले मतदान ने भारत को उसका 15वां उपराष्ट्रपति दे दिया. कुल 768 सांसदों ने अपने मताधिकार का उपयोग कर एक नए युग की शुरुआत की. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 प्रथम वरीयता वोटों के साथ शानदार जीत हासिल की, जबकि इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोटों से संतोष करना पड़ा. यह जीत न केवल राधाकृष्णन की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि एनडीए की रणनीतिक ताकत और दक्षिण भारत में बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है. आइए, जानते हैं कि कौन हैं सीपी राधाकृष्णन और कैसे उन्होंने तमिलनाडु के तिरुप्पुर से उपराष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया.
तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति तक: एक प्रेरक शुरुआत
चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन, जिन्हें सीपी राधाकृष्णन के नाम से जाना जाता है, का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में एक प्रभावशाली ओबीसी गौंडर समुदाय में हुआ. उन्होंने वी.ओ. चिदंबरम कॉलेज, थूथुकुडी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) में स्नातक की डिग्री हासिल की. मात्र 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर उन्होंने अपनी वैचारिक नींव रखी और 1974 में भारतीय जनसंघ की तमिलनाडु राज्य कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए. यह वह दौर था जब उनकी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक जुड़ाव ने उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाया. कॉलेज के दिनों में टेबल टेनिस चैंपियन और लंबी दूरी के धावक के रूप में उनकी खेल प्रतिभा ने भी उनकी छवि को निखारा.
राजनीतिक उड़ान: कोयंबटूर से संसद तक
राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर 1996 में तेजी से उभरा, जब उन्हें तमिलनाडु भाजपा का सचिव बनाया गया. 1998 में कोयंबटूर लोकसभा सीट से उन्होंने पहली बार जीत हासिल की, जो उस समय कोयंबटूर बम विस्फोटों के बाद सुर्खियों में थी. इस जीत में बीजेपी-एआईएडीएमके गठबंधन की भूमिका अहम थी, और राधाकृष्णन ने डीएमके के उम्मीदवार को 1.5 लाख वोटों से हराया. 1999 में वे दोबारा सांसद चुने गए. संसद में उन्होंने कपड़ा समिति के अध्यक्ष, वित्त परामर्श समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी नजदीकी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से रही, जिन्हें वे अपना प्रेरणास्रोत मानते थे. 2004 में उन्होंने तमिलनाडु में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में 19,000 किलोमीटर की 93-दिवसीय रथ यात्रा निकाली, जिसने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद विरोध और सामाजिक सुधार जैसे मुद्दों को उठाया.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज
राधाकृष्णन की नेतृत्व क्षमता केवल भारत तक सीमित नहीं रही. 2004 में वे भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हुए, जहां उन्होंने मानवीय सहायता और आपदा राहत समन्वय पर विचार रखे. उसी साल वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने, जो भारत की कूटनीतिक उपस्थिति को दर्शाता है. उनकी यह उपलब्धि उनकी वैश्विक दृष्टि और कूटनीतिक कौशल को रेखांकित करती है. इसके अलावा, उन्होंने यूएसए, यूके, चीन, जापान, और यूरोप व एशिया के कई देशों की यात्राएं कीं, जिससे उनकी वैश्विक समझ और बढ़ी.
प्रशासनिक कौशल: कोयर बोर्ड से राज्यपाल तक
राधाकृष्णन ने न केवल राजनीति, बल्कि प्रशासन में भी अपनी छाप छोड़ी. 2016 से 2020 तक कोयर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में भारत के कॉयर निर्यात ने 2,532 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड स्तर छुआ. 2020-2022 तक वे केरल में बीजेपी के प्रभारी रहे. 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने चार महीनों में सभी 24 जिलों का दौरा कर जनता और अधिकारियों से सीधा संवाद किया. 2024 में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बने और कुछ समय के लिए तेलंगाना और पुडुचेरी के अतिरिक्त प्रभार को भी संभाला. उनकी यह सक्रियता और जन-जुड़ाव उन्हें एक कुशल प्रशासक के रूप में स्थापित करता है.
सामाजिक जीवन: सादगी और खेलों से जुड़ाव
राधाकृष्णन का सामाजिक जीवन उनकी सादगी और सक्रियता का प्रतीक है. 1985 में उन्होंने आर. सुमति से विवाह किया और उनके दो बच्चे – एक बेटा और एक बेटी – हैं. वे लायंस क्लब इंटरनेशनल के सक्रिय सदस्य हैं और सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि रखते हैं. खेलों में उनकी रुचि कॉलेज के दिनों से रही, जहां वे टेबल टेनिस चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे. क्रिकेट और वॉलीबॉल भी उनके पसंदीदा खेल हैं. उनकी सामाजिक सक्रियता का एक उदाहरण 2012 में मेट्टुपालयम में आरएसएस कार्यकर्ता पर हमले के खिलाफ उनका प्रदर्शन था, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए उनकी हालिया मुलाकात उनकी पारदल संबंधों की मिसाल है.
उपराष्ट्रपति के रूप में नई जिम्मेदारी
452 वोटों के साथ सीपी राधाकृष्णन ने न केवल उपराष्ट्रपति का पद हासिल किया, बल्कि वे राज्यसभा के सभापति के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. उनकी जीत में एनडीए की एकजुटता और वाईएसआर कांग्रेस जैसे गैर-गठबंधन दलों का समर्थन महत्वपूर्ण रहा. उनकी नियुक्ति को दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है. उनकी सादगी, अनुभव और वैचारिक दृढ़ता उन्हें इस संवैधानिक पद के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है. अब देखना होगा कि वे इस भूमिका में कैसे देश की सेवा करते हैं और भारत की राजनीति में नया अध्याय जोड़ते हैं.
ये भी पढ़ें: उपराष्ट्रपति का चुनाव जीते NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन, मिले 452 वोट