भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गई पाकिस्तान की कायराना हरकत का जवाब दे दिया है. भारतीय वायुसेना ने 6 मई की आधी रात को पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में घुसकर नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए. इस रणनीतिक सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है. इस कार्रवाई से पहले राजधानी में देश की सुरक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बैठकों का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हर बैठक में NSA अजीत डोभाल का अहम किरदार होता है. ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के बाद भी अजीत डोभाल के नाम की काफी चर्चा हो रही है. ऐसे में हर कोई उनके जीवन से जुड़े किस्सों को जानना चाहता है. आइए जानते हैं NSA अजीत डोभाल से जुड़ी कुछ अहम बातें.
अजीत डोभाल न सिर्फ खुफिया दुनिया में माहिर हैं, बल्कि जिसने रणनीतिक सोच, साहस और नीतिगत दृढ़ता से भारत की सुरक्षा नीति को नई दिशा दी है. आज वे प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं. उनका सफर एक रॉ एजेंट से लेकर इस सर्वोच्च पद रोमांच, खतरे और राष्ट्रभक्ति से भरा रहा है. डोभाल को 'भारत का जेम्स बॉन्ड' कहा जाता है. उनकी कहानियाँ सिर्फ काल्पनिक रोमांच नहीं, बल्कि असली ज़मीन पर लड़ी गई जासूसी और सैन्य रणनीति की जंग हैं. वह पहले आईपीएस अधिकारी बने जिन्हें कीर्ति चक्र से नवाज़ा गया.
ऑपरेशन ब्लूस्टार में निर्णायक भूमिका
1980 के दशक में ऑपरेशन ब्लूस्टार भारत के इतिहास का एक नाजुक मोड़ था. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को सफल बनाने में डोभाल ने पर्दे के पीछे रहकर बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने महीनों तक पाकिस्तानी जासूस के रूप में आतंकियों के बीच घुसपैठ की और सेना को वह खुफिया जानकारी दी जो ऑपरेशन की नींव बनी.
7 साल पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर जासूसी
डोभाल ने 7 वर्षों तक पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर रहे. इस दौरान वह न केवल भारत के लिए महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करते रहे, बल्कि अपनी पहचान छुपाने के लिए जीवन की हर हद को पार कर गए. जब एक व्यक्ति ने उनके छिदे हुए कानों से उनकी असलियत को भांप लिया, तब डोभाल ने अपनी सुरक्षा के लिए कान की प्लास्टिक सर्जरी तक करा ली.
पूर्वोत्तर और कश्मीर में भी अद्वितीय कार्य
पूर्वोत्तर भारत में मिजो नेशनल फ्रंट के विद्रोह को शांत करने के लिए डोभाल ने विद्रोही कमांडरों का विश्वास जीतकर ललडेंगा को भारत सरकार के साथ शांति समझौता करने को मजबूर किया. वहीं कश्मीर में भी उन्होंने उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ करके भारत विरोधी ताकतों को भारत समर्थक बना दिया. कूका पारे इसका एक प्रमुख उदाहरण था, जो बाद में विधायक तक बना.
आईसी-814 हाईजैक में डोभाल की निर्णायक भूमिका
1999 में काठमांडू से हाईजैक हुई फ्लाइट IC-814 के दौरान भी भारत सरकार ने अजीत डोभाल को मुख्य वार्ताकार नियुक्त किया. यह उनकी कूटनीतिक क्षमता और संकट में निर्णायक सोच को दर्शाता है. हालांकि विमान अंततः कंधार ले जाया गया, लेकिन इस मिशन में उनकी भूमिका अहम रही.
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