यूरोप के नक्शे पर लिथुआनिया भले ही एक छोटा-सा देश हो, लेकिन इस बार वह राजनीति की दुनिया में एक बड़ी वजह से चर्चा में है. बाल्टिक सागर के किनारे बसे इस देश की सत्ता की बागडोर अब एक ऐसी महिला ने संभाली है, जिनकी पहचान अब तक एक मज़दूर नेता के तौर पर रही है. बात हो रही है इंगा रुगीनीने की, जिन्हें हाल ही में लिथुआनिया की नई प्रधानमंत्री चुना गया है.
इंगा रुगीनीने ने राजनीति में भले ही अभी कदम रखा हो, लेकिन संसद में उन्हें भारी बहुमत से समर्थन मिला. 141 सदस्यीय संसद में हुए मतदान में 78 सांसदों ने उनके पक्ष में वोट दिया, जबकि 35 ने विरोध जताया. यह मौका तब आया जब पूर्व प्रधानमंत्री गिन्तौतस पालुकस को वित्तीय लेन-देन से जुड़े विवादों के कारण इस्तीफा देना पड़ा.
मजदूर आंदोलन से राष्ट्रीय राजनीति तक
44 वर्षीय इंगा का अब तक का सफर किसी प्रेरक कहानी से कम नहीं है. राजनीति में आने से पहले वे लिथुआनिया ट्रेड यूनियन महासंघ की अध्यक्ष थीं. इसके अलावा वे यूरोपीय ट्रेड यूनियन संगठनों में भी सक्रिय भूमिका निभा चुकी हैं. 2023 के आम चुनावों के पहले उन्होंने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी जॉइन की और चुनाव जीतकर सरकार में सामाजिक सुरक्षा और श्रम मंत्री बनीं. अपनी ज़मीनी पकड़ और अनुभव के कारण उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त माना गया.
बचपन से जुड़ी यूक्रेन और रूस की यादें
इंगा रुगीनीने का जन्म 24 मई 1981 को लिथुआनिया के त्राकाई शहर में हुआ. उन्होंने राजधानी विल्नियस में अपनी पढ़ाई पूरी की. दिलचस्प बात यह है कि उनका पारिवारिक जुड़ाव यूक्रेन के क्रामातोर्स्क शहर से भी रहा है, जहाँ वे छुट्टियाँ बिताने जाया करती थीं. हालांकि आज वे रूस की नीतियों की आलोचक हैं और यूक्रेन के समर्थन में खुलकर बोलती रही हैं.
किताबों और कला की शौकीन हैं प्रधानमंत्री
राजनीति से इतर इंगा रुगीनीने को जासूसी और रहस्य-कथाओं वाली किताबें पढ़ना बेहद पसंद है. 'द लिटिल प्रिंस' उनकी सबसे प्रिय किताबों में शामिल है. वे खाली समय में पेंटिंग करती हैं और ट्रैवलिंग को मानसिक सुकून का जरिया मानती हैं.
गठबंधन सरकार के सामने बड़ी जिम्मेदारियां
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ने दो अन्य दलों के साथ गठबंधन करके बहुमत का रास्ता साफ किया है. इस गठबंधन को 82 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत के लिए जरूरी 71 से अधिक है. लेकिन प्रधानमंत्री बनने के साथ ही इंगा के सामने अब असली चुनौती है – राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना, अर्थव्यवस्था को गति देना, और जनकल्याण योजनाओं को ज़मीन पर उतारना. उन्हें अब अगले 15 दिनों में सरकार का विज़न डॉक्युमेंट संसद में पेश करना होगा, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक समानता और आर्थिक विकास जैसे मसले प्रमुख रहेंगे.
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