गाड़ियों से लेकर दवाओं तक... मेक्सिको के 50% टैरिफ से किन सेक्टर्स को होगा नुकसान, क्या होगा इसका असर?

    वैश्विक व्यापार तनावों के बीच भारत के लिए एक और चुनौती सामने आ गई है.

    Which sectors will be harmed by Mexico tariff on India
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    वैश्विक व्यापार तनावों के बीच भारत के लिए एक और चुनौती सामने आ गई है. अमेरिका के बाद अब मेक्सिको- जो भारत के लिए लैटिन अमेरिका में एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है, ने उन देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है जिनके साथ उसका कोई व्यापारिक समझौता नहीं है. इस सूची में भारत और चीन दोनों शामिल हैं. फाइनल आदेश के अनुसार मेक्सिको आने वाले 1,400 से अधिक उत्पादों पर 5% से लेकर 50% तक का टैरिफ लागू करेगा. यह नई व्यवस्था अगले वर्ष से प्रभावी हो जाएगी.

    यह कदम भारत के लिए खास चिंता इसलिए है क्योंकि मेक्सिको उन चुनिंदा देशों में है जिसके साथ भारत का ट्रेड सरप्लस है. वर्ष 2024–25 में भारत ने मेक्सिको को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि आयात सिर्फ 2.9 अरब डॉलर का रहा.

    भारत का व्यापार संतुलन क्यों बिगड़ सकता है?

    मेक्सिको को भारत मुख्य रूप से

    • गाड़ियां
    • दोपहिया वाहन
    • मशीनरी
    • इलेक्ट्रिकल उपकरण
    • ऑर्गैनिक केमिकल्स
    • एल्यूमीनियम

    जैसी कैटेगरी में बड़ा निर्यात करता है.

    टैरिफ बढ़ने से ये सभी श्रेणियां महंगी हो जाएंगी और भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा सीधे प्रभावित होगी. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सबसे ज्यादा दबाव ऑटो सेक्टर पर आ सकता है, जो लंबे समय से मेक्सिको को निर्यात करके मजबूत उपस्थिति बना चुका है.

    मेक्सिको जाने वाले वाहनों पर सबसे बड़ा असर

    भारतीय कार उद्योग के लिए मेक्सिको एक बड़ा और तेजी से बढ़ता बाजार है.

    • फॉक्सवैगन
    • हुंडई
    • मारुति सुजुकी

    जैसी कंपनियां हर वर्ष मेक्सिको को लगभग 90,000 वाहनों का निर्यात करती हैं, जिसकी संयुक्त कीमत करीब 1.1 अरब डॉलर है.

    मेक्सिको में भारत से जाने वाली गाड़ियों में स्कोडा ऑटो-फॉक्सवैगन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. कंपनी ने बयान जारी कर कहा है कि वह नई स्थिति पर नजर बनाए हुए है, लेकिन उसका मानना है कि लंबी अवधि में इस नीति का बड़ा असर पड़ सकता है.

    टू-व्हीलर उद्योग के लिए भी खतरे की घंटी

    मेक्सिको में भारतीय बाइक्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है.

    • रॉयल एनफील्ड
    • टीवीएस
    • बजाज
    • होंडा

    जैसी कंपनियां यहां अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी हैं. बढ़े हुए टैरिफ का मतलब है कि इन कंपनियों के मॉडल मेक्सिको में 5%–50% तक महंगे हो सकते हैं, जिससे स्थानीय प्रतिस्पर्धियों को बढ़त मिल सकती है.

    कंपोनेंट सेक्टर पर भी दबाव बढ़ेगा

    भारत से मेक्सिको को भेजे जाने वाले ऑटो पार्ट्स का बाजार भी काफी बड़ा है.
    वर्ष 2024–25 में लगभग 850 मिलियन डॉलर के कंपोनेंट मेक्सिको भेजे गए.

    इनमें शामिल हैं—

    • प्रिसिजन फोर्जिंग
    • पावरट्रेन कंपोनेंट
    • ड्राइवलाइन पार्ट्स
    • ब्रेक सिस्टम
    • इलेक्ट्रिकल यूनिट्स

    इनका बड़ा हिस्सा मेक्सिको की उन फैक्ट्रियों में उपयोग होता है जो अमेरिका को वाहनों का निर्यात करती हैं. टैरिफ बढ़ने से कंपनियों को सप्लाई चेन फिर से डिजाइन करनी पड़ सकती है.

    ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री की चिंता

    ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता ने चेतावनी दी कि मेक्सिको का निर्णय वैश्विक सप्लाई चेन में अस्थिरता ला सकता है. उनका कहना है कि भारत से जाने वाले कई प्रिसिजन कंपोनेंट्स मेक्सिको में काफी मांग रखते हैं, ऐसे में 50% तक का टैरिफ इन उत्पादों की लागत बढ़ाकर उनकी मांग कम कर सकता है.

    क्या यह कदम अमेरिका के दबाव में?

    मेक्सिको के इस फैसले के पीछे राजनीतिक पहलू भी दिखाई दे रहा है. माना जा रहा है कि यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में लिया गया है. अमेरिका चाहता है कि उसकी सीमाओं से लगे देश अपने व्यापारिक साझेदारों पर कड़ा नियंत्रण रखें, खासकर तब जब अमेरिका अपने क्षेत्रीय व्यापार ढांचे को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.

    वैश्विक व्यापार तनाव और भारत पर असर

    EY इंडिया के टैक्स विशेषज्ञ सौरभ अग्रवाल का कहना है कि यह निर्णय बढ़ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनावों का संकेत है. उनके मुताबिक इस बढ़े हुए टैरिफ का प्रभाव—

    • ऑटो कंपोनेंट्स
    • टेक्सटाइल
    • इंजीनियरिंग उत्पाद

    जैसे क्षेत्रों पर साफ दिखाई देगा.

    भारतीय निर्यात महंगा होने से मेक्सिको के मार्केट में भारत की हिस्सेदारी घट सकती है और लंबी अवधि में भारत-मेक्सिको संबंधों में व्यापारिक असंतुलन पैदा हो सकता है.

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