Friendship Day 2025: दोस्ती... वो रिश्ता जो खून से नहीं, दिल से जुड़ता है; जानिए कब है फ्रेंडशिप डे

    Friendship Day 2025: हर साल अगस्त का पहला रविवार उन रिश्तों को सेलिब्रेट करने का दिन होता है, जो हमारे चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, टूटने पर संभालते हैं और बिना शर्त हमारे साथ खड़े रहते हैं.

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    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    Friendship Day 2025: कभी सोचा है, ज़िंदगी अगर एक फिल्म होती, तो उसके सबसे मज़ेदार, सबसे सच्चे और सबसे यादगार सीन में कौन होता? जवाब है — दोस्त. न कोई रिश्ता लिखा हुआ, न कोई फर्ज़ थोपे गए, फिर भी सबसे गहरा नाता.

    हर साल अगस्त का पहला रविवार उन रिश्तों को सेलिब्रेट करने का दिन होता है, जो हमारे चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, टूटने पर संभालते हैं और बिना शर्त हमारे साथ खड़े रहते हैं. इस साल फ्रेंडशिप डे 3 अगस्त 2025 को है — एक ऐसा दिन जो सिर्फ गिफ्ट्स, बैंड्स या सोशल मीडिया पोस्ट से नहीं, दिल से मनाया जाता है. अब सवाल उठता है — दोस्ती इतनी जरूरी क्यों है? इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई? और क्यों आज भी, तमाम रिश्तों के होते हुए, दोस्त सबसे खास लगते हैं? चलिए, इन सवालों के जवाब दिल से ढूंढते हैं.

    क्यों जरूरी होते हैं दोस्त? क्योंकि ज़िंदगी कभी अकेली नहीं चलती. 

    हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे पल आते हैं, जब अंदर का सब कुछ भारी लगने लगता है. उस वक्त अगर कोई बिना सवाल पूछे बस साथ बैठ जाए, तो बोझ थोड़ा हल्का हो जाता है. वही होता है एक असली दोस्त. जब कोई बात घरवालों से नहीं कह पाते, तब दोस्त एक ऐसा कोना बन जाते हैं जहाँ आप खुद को बिना किसी फिल्टर के ज़ाहिर कर सकते हैं. वे आपके दुख के वक़्त चुपचाप कंधा बनते हैं, और आपकी खुशी में आपकी आवाज़ से भी ज्यादा तेज़ हंसते हैं. कोई उपलब्धि हो, कोई ग़लती हो, कोई सपना हो या कोई डर — दोस्त हर चीज़ को आपके साथ जीते हैं. और यही वजह है कि दोस्ती सिर्फ एक रिश्ता नहीं, ज़रूरत है. मानसिक सेहत की, भावनात्मक बैलेंस की और उस जुड़ाव की जो हमें इंसान बनाए रखता है.

    फ्रेंडशिप डे: एक बिज़नेस आइडिया से दुनिया की सबसे प्यारी परंपरा तक

    फ्रेंडशिप डे की शुरुआत एकदम फिल्मी नहीं थी. 1930 में अमेरिका की एक ग्रीटिंग कार्ड कंपनी हॉलमार्क ने सोचा कि क्यों न ऐसा एक दिन हो, जब लोग अपने दोस्तों को कार्ड भेजें और रिश्ते का जश्न मनाएं. एक बिज़नेस मॉडल की तरह शुरू हुआ दिन धीरे-धीरे लोगों की भावनाओं से जुड़ गया. 1958 में पराग्वे में पहली बार औपचारिक रूप से फ्रेंडशिप डे का प्रस्ताव सामने आया. इसके बाद तो यह दिन कई देशों में अपनाया जाने लगा — हर जगह थोड़ा अलग, लेकिन जज़्बात वही. आज के दौर में जहां रिश्ते तेजी से बनते और टूटते हैं, वहीं दोस्ती ऐसा नाता है जो वक्त, दूरी, हालात और हाल से परे खड़ा रहता है.

    इस दिन का मतलब सिर्फ "हैप्पी फ्रेंडशिप डे" कह देना नहीं है. 

    यह दिन सिर्फ मैसेज फॉरवर्ड करने या इंस्टाग्राम पर पुराने फोटो डालने का बहाना नहीं है. यह एक मौका है — रुक कर सोचने का कि किन लोगों ने हमारी ज़िंदगी को बेहतर बनाया. एक थैंक यू उन दोस्तों के लिए, जो बिना पूछे हमारी मदद करते हैं. एक माफ़ी उन दोस्तों के लिए, जिनसे कभी बेवजह दूर हो गए. एक कॉल उन दोस्तों को, जो भले रोज़ बात नहीं करते, लेकिन अब भी दिल के सबसे करीब हैं. और सबसे ज़रूरी — एक वादा खुद से, कि हम भी ऐसे दोस्त बनें जो सिर्फ सुनते नहीं, समझते भी हैं.

    क्योंकि दोस्त ही तो हैं... जो बिना खून के रिश्ते, खून से भी गहरे हो जाते हैं. 

    फ्रेंडशिप डे हमें ये याद दिलाने का दिन है कि हमारे पास कुछ ऐसे लोग हैं, जो हमारी ‘कमियों’ को भी अपनाते हैं. जो हमें गिरते हुए नहीं छोड़ते, और उड़ते वक्त ताली बजाते हैं. मनोविज्ञान कहता है कि दोस्ती तनाव कम करती है, अकेलापन दूर करती है, और ज़िंदगी को लंबा व खूबसूरत बनाती है. लेकिन दिल कहता है — दोस्ती वो चुपचाप बहती नदी है, जो हर सूखे मन को भिगो देती है. तो इस फ्रेंडशिप डे पर, चलो एक बार फिर उन रिश्तों को थाम लें, जिन्हें हमने चुना है, जिन्होंने हमें अपनाया है और जिनकी वजह से हम आज वो इंसान हैं, जो हम हैं.

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