न्यूयॉर्क: परमाणु हथियारों की ताकत को लेकर अक्सर दुनिया में बहस होती है, लेकिन एक नई वैज्ञानिक स्टडी ने यह साफ कर दिया है कि युद्ध चाहे सीमित हो या बड़ा – इसका असर पूरे ग्रह को लंबे समय तक झेलना पड़ेगा. पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की एक 10 साल लंबी रिसर्च के मुताबिक, परमाणु हमले सिर्फ बमबारी तक सीमित नहीं रहते, ये धरती की जलवायु, कृषि व्यवस्था और मानव सभ्यता को बर्बादी की कगार पर ला सकते हैं.
सिर्फ बम नहीं, सूरज तक ढक जाएगा
इस शोध में वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है कि यदि कभी परमाणु युद्ध होता है, तो जलते शहरों और फैक्ट्रियों से उठने वाला काला धुआं (सूट) वायुमंडल की ऊपरी परत में फैल जाएगा. इससे सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचेगी और एक प्रकार की “परमाणु सर्दी” शुरू हो जाएगी. पूरी दुनिया पर अंधेरा छा सकता है — जैसे कोई राख की चादर सूरज को ढक ले.
खेतों में अनाज नहीं, सन्नाटा होगा
शोधकर्ताओं ने एक खास मॉडल (Cycles Agroecosystem Model) की मदद से यह जानने की कोशिश की कि ऐसा होने पर मक्के जैसी प्रमुख फसल पर क्या असर पड़ेगा. अध्ययन के मुताबिक:
एक दशक तक नहीं लौटेगी सामान्य स्थिति
रिसर्च में छह अलग-अलग युद्ध-परिदृश्यों का विश्लेषण किया गया. निष्कर्ष चौंकाने वाले थे:
पारिस्थितिक संकट है परमाणु युद्ध
इस शोध के सबसे महत्वपूर्ण पहलू की बात करें तो यह परमाणु हथियारों को केवल सैन्य ताकत या कूटनीतिक दबाव के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे एक वैश्विक पारिस्थितिक और मानवीय संकट मानता है.
शोधकर्ता कहते हैं, "परमाणु युद्ध की कीमत सिर्फ युद्धभूमि पर नहीं चुकाई जाती, इसका असर पृथ्वी की हर नस में महसूस होता है — खेतों में, मौसम में, और इंसानी जीवन की मूलभूत जरूरतों में."
अब भी वक्त है सोचने का
दुनिया जिस दौर से गुजर रही है — जहां यूक्रेन युद्ध, ताइवान संकट, और पश्चिम-पूर्व के तनाव रोज नई सुर्खियां बनाते हैं — इस रिसर्च की अहमियत और बढ़ जाती है. यह एक चेतावनी है: परमाणु शक्ति का घमंड अगर नियंत्रण से बाहर हो गया, तो इंसान खुद अपनी बर्बादी लिख लेगा.
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