शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर धार्मिक विवादों में उलझते नजर आ रहे हैं. इस बार तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की ओर से उन्हें 'तनखैया' घोषित कर दिया गया है. पंज प्यारों ने शनिवार को एक विशेष सभा में यह फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि सुखबीर सिंह बादल ने मर्यादाओं और तख्त के संविधान का उल्लंघन किया है.
क्यों घोषित किया गया तनखैया?
21 मई 2025 को तख्त पटना साहिब के दो प्रमुख सदस्यों—भाई कुलदीप सिंह गर्गज और भाई टेक सिंह द्वारा तख्त की मर्यादाओं को दरकिनार करते हुए एक विवादित और राजनीति से प्रेरित आदेश जारी किया गया था. जांच में यह सामने आया कि इस पूरे घटनाक्रम में सुखबीर सिंह बादल की अहम भूमिका रही. पंज प्यारों ने बादल को तीन बार स्पष्टीकरण देने के लिए तलब किया—21 मई, 1 जून और फिर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के आग्रह पर उन्हें अतिरिक्त 20 दिन का समय भी दिया गया. लेकिन तीनों अवसरों पर वह अकाल तख्त के समक्ष पेश नहीं हुए, जिसके बाद उन्हें तनखैया घोषित किया गया.
क्या होता है 'तनखैया'?
सिख धर्म में किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक मर्यादाओं का उल्लंघन करने पर उसे 'तनखैया' घोषित किया जाता है. यह सजा अकाल तख्त साहिब जैसी धार्मिक संस्था द्वारा दी जाती है, जो सिखों का सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण है. इसे एक प्रकार की धार्मिक सजा माना जाता है, जिसमें दोषी को सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करनी होती है और माफ़ी मांगनी होती है.
पहले भी घोषित हो चुके हैं तनखैया
यह पहली बार नहीं है जब सुखबीर सिंह बादल को इस तरह की धार्मिक कार्यवाही का सामना करना पड़ा हो. पिछले वर्ष भी अकाल तख्त साहिब ने उन्हें 2007 से 2017 के बीच पंजाब में अकाली दल सरकार के दौरान हुईं धार्मिक गलतियों के लिए तनखैया घोषित किया था.
तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से अकाल तख्त के आदेश को स्वीकार करते हुए माफी मांगी थी और पेश भी हुए थे.
आगे क्या होगा?
अब नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या सुखबीर सिंह बादल इस बार भी अकाल तख्त या पटना साहिब के समक्ष पेश होकर अपनी सफाई देंगे या नहीं. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो यह मामला धार्मिक और राजनीतिक रूप से और अधिक पेचीदा बन सकता है.
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