What is Halal Certification: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है. सीएम ने कहा कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर न केवल लोगों को भ्रमित किया जा रहा था, बल्कि इसके जरिए आर्थिक शोषण, फर्जीवाड़ा और अवैध फंडिंग जैसी गतिविधियां भी चल रही थीं.
हलाल सर्टिफिकेशन पर क्यों लगा प्रतिबंध?
मुख्यमंत्री योगी ने खुलासा किया कि जांच में पता चला है कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर हर साल करीब 25 हजार करोड़ रुपये का लेन-देन होता था, जबकि इसकी किसी सरकारी एजेंसी से कोई मान्यता नहीं थी. उन्होंने इसे गैरकानूनी आर्थिक नेटवर्क बताते हुए इसे तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया.
‘हलाल’ का अर्थ क्या है?
‘हलाल’ शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है वैध या अनुमेय. इसका उपयोग मुख्य रूप से खाने-पीने की वस्तुओं के लिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उस उत्पाद में इस्लाम में हराम मानी जाने वाली कोई चीज शामिल नहीं है. हलाल सर्टिफिकेशन वेज और नॉन-वेज दोनों प्रकार के उत्पादों पर लागू हो सकता है.
कौन देता था हलाल सर्टिफिकेट?
भारत में हलाल सर्टिफिकेशन जारी करने का कोई सरकारी तंत्र नहीं है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) केवल खाद्य सुरक्षा मानक तय करता है, लेकिन हलाल सर्टिफिकेट नहीं देता. देश में कुछ निजी संस्थाएं, जैसे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट आदि कंपनियों से आवेदन लेकर यह सर्टिफिकेट जारी करती थीं. हालांकि, इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़े और बिना जांच के सर्टिफिकेट जारी करने के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं. यूपी सरकार के अनुसार, कई कंपनियां सिर्फ पैसे देकर सर्टिफिकेट हासिल कर लेती थीं, जिससे लोगों को गुमराह किया जा रहा था.
छांगुर कनेक्शन और फंडिंग का खुलासा
सीएम योगी ने बलरामपुर के एक व्यक्ति छांगुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वह विदेशी फंडिंग और हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर मिले धन का उपयोग धर्मांतरण और अनैतिक गतिविधियों में कर रहा था. उन्होंने जनता से अपील की कि सामान खरीदते समय इस बात की जांच करें कि उस पर हलाल सर्टिफिकेशन न हो. सीएम ने कहा कि “साबुन, कपड़ों से लेकर माचिस तक को हलाल बताया जा रहा था. यह केवल एक व्यापारिक सर्टिफिकेशन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र था.”
आतंकवाद और हलाल नेटवर्क पर आरोप
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी दावा किया कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर होने वाली फंडिंग का उपयोग आतंकवाद, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों में किया जा रहा था. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार ने कभी हलाल सर्टिफिकेशन को मान्यता नहीं दी है. सीएम योगी ने व्यंग्य करते हुए कहा, “माचिस तो झटका वाली है, झटके में ही जलती है.” वहीं हलाल सर्टिफिकेशन पर प्रतिबंध के बाद प्रदेश में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है. विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले को धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह कदम गैरकानूनी आर्थिक नेटवर्क पर सीधा प्रहार है.
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